अतीत की सुधियों के चित्र
नरेंद्र कुमार
हम सभी के मन में कहीं न कहीं बचपन और युवा अवस्था की स्मृतियां दबी होती हैं। जब भी इनसे जुड़ी कोई चीज या घटना सामने आती है तो हम अपने अतीत में पहुंच जाते हैं और वह घटना हमारी आंखों के सामने घटती दिखाई देती है।
‘सुधियों की सुवास’ पुस्तक में लेखिका छाया त्यागी ने चार दशकों की अपनी ऐसी ही छोटी-छोटी घटनाओं का संकलन किया है। अपने लघु संस्मरण में लेखिका ने अतीत की स्मृतियों को वर्तमान से जोड़कर एक संदेश देने की कोशिश की है। उन्होंने गूलर के पेड़ के माध्यम से बचपन की शरारतों, सिलबट्टा की कहानी से नानी के घर की यादों की सैर कराई है। उन्होंने अपनी स्मृतियों से गांव, मेले, शहर, त्योहार, शादियों की रौनक दोस्तों और पड़ोसियों सबकी यादें इस पुस्तक में संजोयी हैं। ‘कंचे उगेंगे’ में बाल मन और शरारत का सुंदर वर्णन किया गया है। पुस्तक की भाषा बहुत ही सरल है। पुस्तक की चित्रात्मक शैली इसे और रोचक बनाती है।
पुस्तक पढ़ते-पढ़ते कहानी के दृश्य आंखों के सामने घूमने लगते हैं। पुस्तक में लेखिका का प्रकृति के प्रति गहरा प्रेम भी उजागर होता है। पुस्तक में आम, नीम, तुलसी, बरगद, गुलमोहर और रात की रानी से जुड़ी यादों को ताजा किया है। पुस्तक में ‘घमौरी’, ‘ट्रांजिस्टर’, ‘चवन्नी’ के माध्यम से लेखिका 40 साल पुरानी यादों से भावविह्वल कर देती है।
पुस्तक में पढ़ने का प्रवाह अंत तक बना रहता है। भाषा और शैली रोचक और सरल है।
पुस्तक : सुधियों की सुवास लेखिका : छाया त्यागी प्रकाशक : सप्तऋषि पब्लिकेशन, चंडीगढ़ पृष्ठ : 144 मूल्य : रु. 200.