दिल के नैनों से हरियाणवी लोक की तस्वीर
अरुण नैथानी
सही मायनों में लोककथाएं लोक में प्रचलित मौखिक-अलिखित परंपरा की ऐसी अमूल्य विरासत है जो सदियों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी विस्तार पाती रही हैं। इनमें शाश्वत जीवन मूल्यों के संरक्षण व लोककल्याण के गहरे भाव निहित होते हैं। ये कहानियां दिल से निकलती हैं और खेत-खलिहानों, नदी-नालों और ऊबड़-खाबड़ रास्तों से होते हुए दिलों में उतरती हैं। हर अंंचल के समाज व बोली-भाषा का प्रभाव इन पर हो सकता है, लेकिन कथन की मौलिकता बरकरार होती है। इनमें हर दौर का लोकजीवन शिद्दत से विद्यमान है। हर नयी पीढ़ी ने इन्हें समृद्ध बनाया है। कह सकते हैं कि एक पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही विरासत को आगे ले जाने और मूल्य आधारित समाज बनाने की तीव्र मानवीय उत्कंठा इन कथाओं में मौजूद है।
हाल ही में साहित्य भारती से प्रकाशित हरियाणवी लोकजीवन के चितेरे राजकिशन नैन की पुस्तक ‘हरियाणा की श्रेष्ठ लोककथाएं’ हरियाणवी लोकसाहित्य को और समृद्ध करती है। सही मायनों में ये लोककथाएं हरियाणा के विशिष्ट सांस्कृतिक स्वरूप का प्रतिनिधित्व करती हैं। दरअसल, यायावरी के शौकीन, कलम और कैमरे के धनी नैन ने पिछले पचास वर्ष से हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के घाट-घाट का पानी पिया है। उन्होंने हरियाणवी जन-जीवन के कला-सांस्कृतिक पक्ष का जमीनी अध्ययन व्यापक स्तर पर किया है। पांच दशक का गहन अनुभव इन लोककथाओं को व्यापक दृष्टि देकर प्रामाणिक व पठनीय बनाता है। संग्रह में संकलित बत्तीस लोककथाओं में हरियाणा की महक लिये शब्द, गीत, लोकजीवन के जीवंत प्रतीक और लोक भाषा कहानियों को पठनीय बनाते हैं।
विष्णु शर्मा द्वारा रचित पंचतंत्र की कथाओं का पूरी दुनिया में साठ से अधिक भाषाओं में 250 संस्करणों में प्रकाशित होना, लोककथाओं की वैश्विक स्वीकार्यता को दर्शाता है। ये कथाएं कालांतर ईरान होते हुए यूरोपीय देशों तक पहुंचीं। भारत के विभिन्न राज्यों में तमाम मिलती-जुलती लोककथाएं जनश्रुतियों में हैं, लेकिन उनमें स्थानीयता के चटख रंग जरूर शामिल होते हैं। हरियाणा में अनेक रचनाकारों ने हरियाणा की लोककथाओं पर पुस्तक प्रकाशित की हैं, लेकिन नैन की लोककथाएं इसलिए ज्यादा प्रामाणिक व सारगर्भित हैं कि उसमें उनका लोकजीवन से हासिल गहरा अनुभव व मेहनत शामिल हैं। उन्होंने उन तमाम लोगों को भी आदर से याद किया है, जिन्होंने हरियाणवी लोककथाओं पर व्यापक अध्ययन व शोध किया है। नैन ने मां व दादी-नानी तथा कुछ चर्चित कथक्कड़ों से सुनी कथाओं को समृद्ध किया है। साथ ही नैन ने इन कथाओं को लोक प्रचलित कवित्त, गीत, गीतिका, तुकबंदी और टप्पे आदि से अतिरिक्त सौंदर्य प्रदान किया है। वे इस लोकनिधि के क्षरण से खासे दुखी हैं। वहीं दूसरी ओर भारत के तमाम राज्यों की लोककथाओं को सहेजने-संवारने हेतु साहित्य भारती के अशोक शर्मा के प्रयास भी स्तुत्य हैं।
पुस्तक : हरियाणा की श्रेष्ठ लोककथाएं रचनाकार : राजकिशन नैन प्रकाशक : साहित्य भारती, दिल्ली पृष्ठ : 192 मूल्य : रु. 595.