नारी-जीवटता की तस्वीर
रतन चंद ‘रत्नेश’
लेखिका ज्योति जैन के हालिया प्रकाशित कहानी-संग्रह ‘नज़रबट्टू’ की कुल बीस कहानियों में मुख्यतः नारी के विभिन्न रूप उभर कर सामने आए हैं। आधुनिक से लेकर अत्याधुनिक कहे जाने वाले समाज व परिवार में उनकी स्थिति, अस्मिता, कर्मठता और योग्यता का पैमाना तथा उनके प्रति अब भी की जा रही अनदेखी को यहां कथात्मकता के धरातल पर रेखांकित किया गया है।
मानवी, गतांक से आगे…नीला आसमान, गाड़ी बुला रही है, खुशबू वर्सेज खुशबू जैसी कहानियां इसकी गवाह हैं। कला और साहित्य जैसे रचनात्मक क्षेत्र में रुचि रखने वाली महिलाओं के प्रति पारिवारिक सोच ‘नीला आसमान’ में दिखता है तो आत्मसम्मान की खातिर दो बेटियों के साथ पति से अलग होने वाली ‘मानवी’ इसी ओर इशारा करती है। समाज में व्याप्त आर्थिक विषमता को ‘नज़रबट्टू’ में बेहद तार्किक ढंग से इस तरह से प्रस्तुत किया गया है कि संपन्न का अंधविश्वास दरिद्र के भोजन अथवा स्वाद का विकल्प हो जाता है।
ये छोटी-छोटी कहानियां जीवन से जुड़े छोटे-छोटे पलों को बारीकी से देखती और उनका अनुभव कराती हैं। जैसे कि ‘लाॅकडाउन’ में रिटायरमेंट जैसी फीलिंग या फिर वृद्धाश्रम व अनाथाश्रम की सार्थक उपयोगिता। ‘संझादीप’ में एक नारी की नयी सोच यह सुझाती है कि यदि वृद्धाश्रम और अनाथालय एक ही परिसर में बनाए जाएं तो बड़ों और बच्चों की यह दूरी कम की जा सकती है। बहरहाल कहानियों का सार ‘शिरीन’ के माध्यम से यह है कि चाहे विषम परिस्थितियां ही क्यों न हों, नारी को एक पहाड़ी या जंगली फूल की तरह जीवटता के साथ खिलते रहना चाहिए।
पुस्तक : नज़रबट्टू (कहानी-संग्रह) लेखिका : ज्योति जैन प्रकाशक : शिवना प्रकाशन, सीहोर, म.प्र. पृष्ठ : 136 मूल्य : रु. 150.