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टमाटर के भाव में जिंदगी का दर्शन

06:27 AM Oct 10, 2023 IST
टमाटर के भाव में जिंदगी का दर्शन
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आलोक पुराणिक

इंसान की इज्जत भी टमाटर के जैसी होती है, कभी दो सौ रुपये किलो के भाव से इज्जत के साथ तुलती है और कभी पांच रुपये किलो की भी औकात न होती। कुछ दिनों के हेरफेर में ही बंदा या टमाटर दो सौ रुपये से पांच रुपये किलो पर आ सकता है, यह सत्य याद रखना चाहिए। अच्छे दिन देखकर बौरा नहीं जाना चाहिए, बुरे दिन भी आते हैं और जल्दी ही आ जाते हैं, टमाटरों को देखकर यह बात बहुत आसानी से समझी जा सकती है। कुछेक हफ्तों के हेरफेर में ही टमाटर दो सौ रुपये किलो से गिरकर पांच रुपये किलो पर आ गये।
टमाटरों के भाव देखकर जिंदगी का दर्शन समझ लेना चाहिए, कुछ भी परमानेंट नहीं है। न इज्जत परमानेंट है, न बेइज्जती परमानेंट है। न ऊंचे भाव परमानेंट हैं, न गिरे हुए भाव परमानेंट हैं। जो टमाटर आज पांच रुपये किलो फिंके-फिंके घूम रहे हैं, वह फिर कभी दो सौ रुपये किलो के लेवल पर जायेंगे। प्याज के साथ भी यही होता है। जमीन से आसमान का जितना सफर प्याज ने किया है, वैसा तो बड़े से बड़े नेता ने भी न किया।
इसलिए बहुत अच्छे वक्त में बहुत उछलना न चाहिए और बहुत ही बुरे वक्त में बहुत परेशान न होना चाहिए, सबके दिन फिरते हैं, घूरे के भी और टमाटर के भी। लोकसभा चुनाव आने वाले हैं, कई राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव आने वाले हैं, हर किस्म के नेता के दिन फिर सकते हैं। घटिया से घटिया नेता के भी कुछ भाव लग सकते हैं। मंडी उठान पर हो, तो हर आइटम के भाव मिल जाते हैं। नेतागीरी की मंडी में तरह-तरह की मांग आने वाली है। लोकतंत्र में नेतागीरी के मार्केट में चुनाव के वक्त तेजी आ जाती है, अगर लोकतंत्र पाकिस्तान टाइप का न हो तो।
बेइज्जती कोई कितनी सह सकता है, यह सीखना है तो पाकिस्तान और पाकिस्तानियों से सीख लेना चाहिए। दुनिया का हर देश भिखारी कहता है पाकिस्तान को, अफगानिस्तान क्रिकेट से लेकर आतंक के मैदान में पाकिस्तान की पिटाई करता है, पाकिस्तानी सब सुनते हैं, सब देखते हैं, सब्र रखते हैं। दरअसल कोई विकल्प नहीं है उनके पास, सब्र न रखें तो क्या करें। जिनके पास कुछ न होता, उनके पास कोई आप्शन ही नहीं है, सब्र रखने के सिवाय।
पाकिस्तान की आफत यह है कि उसकी किस्मत टमाटर जैसी भी नहीं है, जिसके भाव कभी-कभी बढ़ भी जाते हैं। पाकिस्तान के मामले में तो ट्रेंड एक ही है नीचे और नीचे और बहुत नीचे। पाकिस्तान की गति दुर्गति देखकर कई बार सवाल यह उठता है कि यह मुल्क बनाया क्यों गया था। इसका एक जवाब यह हो सकता है कि इस मुल्क का निर्माण यह देखने और टेस्ट करने के लिए किया गया था कि कोई कितनी जिल्लत, बेइज्जती सहन कर सकता है।

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