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दल बदल में पीएचडी, पाला बदल की डीलिट्

06:44 AM Feb 03, 2024 IST
दल बदल में पीएचडी  पाला बदल की डीलिट्
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सहीराम

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देखो जी, कम से कम एक मामले में तो बिहार, हरियाणा के बराबर आ गया बल्कि हो सकता है कुछ आगे ही निकल गया हो। कल तक हरियाणा अपने आयाराम और गयारामों के साथ देश में सबसे आगे था। नहीं-नहीं, यह बात ठीक है कि दूसरे कई मामलों में भी हरियाणा देश में सबसे आगे है। लेकिन एक यही मामला है जिसमें बिहार न सिर्फ हरियाणा के बराबर आकर खड़ा हो गया है बल्कि हो सकता है, दो-चार कदम आगे ही निकल गया हो। क्योंकि वहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमारजी ने, अपने नए नाम पलटूराम के साथ हरियाणा के आयाराम और गयारामांे को पीछे छोड़ दिया है। दलबदलुओं या पालाबदलुओं के लिए यह नया नाम है।
आप ही बताओ नया नाम इतनी आसानी से कहां मिलता है। देखो एक नया नाम ढ़ूंढ़ने में ही पचास साल लग गए। अभी तक देश में कहीं भी दलबदल होता था, वहां बस इसी आयाराम-गयाराम के नाम से काम चलाया जाता था। लग रहा था जैसे सृजनात्मक प्रतिभा का अकाल ही पड़ गया हो। लेकिन अब पचास साल बाद ही सही बिहार में नयी सृजनात्मक प्रतिभा सामने आयी और दलबदलुओं और पालाबदलुओं को एक नया नाम मिल गया-पलटूराम।
एक जमाने में हरियाणा इस मामले में भी आगे था कि यहां के एक पूर्व मुख्यमंत्री किसी वक्त अपनी पूरी पार्टी का दलबदल कराकर नयी पार्टी में शामिल हो गए थे। नीतीशजी को पूरी पार्टी को ले जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। वे बस पाला बदलते हैं और पार्टी उनके पीछे-पीछे उस पाले में जा खड़ी होती है। वे कहते हैं, मैं तो उस पाले में जा रहा हूं तो पार्टी न उन्हें रोकने की कोशिश करती है, न मनाने की, बस पीछे-पीछे चल देती है। अपनी घरेलू पार्टी होने का यही फायदा होता है जी कि कभी भी पाला बदल लो, नीतीशजी की तरह। वे कई बार बदल चुके हैं। खैर जी, अपने हरियाणावाले वे पूर्व मुख्यमंत्री अपने आपको दलबदल में पीएचडी कहते थे। नीतीशजी अपने आपको पाला बदल में डीलिट् कह सकते हैं। निश्चित रूप से पीएचडी की डिग्री उनके लिए छोटी पड़ जाएगी।
बहरहाल एक जमाने में बिहार के ही पासवानजी को मौसम विज्ञानी होने की उपाधि मिली थी। बिहार इस मामले में भी सबसे आगे था कि राजनीति का ऐसा मौसम विज्ञानी फिर कोई पैदा नहीं हुआ। लेकिन अब नीतीशजी ने उन्हें भी पीछे छोड़ दिया है, अब वे उनसे भी बड़े मौसम विज्ञानी हो गए हैं। रिकॉर्ड खेल में ही नहीं टूटते जी, राजनीति में भी टूटते हैं। घर फूंक तमाशा कबीर बाबा ने भी क्या देखा, जैसा नीतीशजी देखते हैं। इंडिया गठबंधन के साथ उन्होंने वही किया कि आयी मौज नीतीश की, दिया झोपड़ा फूंक! नहीं क्या!

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