नेजल टीके के दूसरे, तीसरे चरण के परीक्षण की मंजूरी
नयी दिल्ली, 13 अगस्त (एजेंसी)
भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोविड-19 के नाक से दिये जा सकने वाले पहले टीके को दूसरे और तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण के लिए नियामक की मंजूरी मिल गयी है। जैवप्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने शुक्रवार को कहा कि 18 साल से 60 साल के आयुवर्ग के समूह में पहले चरण का क्लिनिकल परीक्षण पूरा हो गया है। उसने कहा कि यह इस तरह का पहला कोविड-19 टीका है जिसका भारत में मनुष्यों पर क्लिनिकल परीक्षण होगा। यह टीका बीबीवी154 है, जिसकी प्रौद्योगिकी भारत बायोटेक ने सेंट लुईस स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से प्राप्त की थी। ‘कंपनी के अनुसार पहले चरण के क्लिनिकल परीक्षण में टीके की खुराकों को शरीर ने अच्छी तरह स्वीकार किया। किसी गंभीर प्रतिकूल प्रभाव की जानकारी नहीं है।’ क्लिनिकल पूर्व अध्ययनों में भी टीका सुरक्षित पाया गया था। पशुओं पर अध्ययन में टीका एंटीबॉडी का उच्च स्तर बनाने में सफल रहा।
स्वस्थ होने की दर 97.46% हुई
भारत में एक दिन में कोविड-19 के 40,120 नये मामले आने से संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 3,21,17,826 हो गई, उधर,संक्रमितों के स्वस्थ होने की दर 97.46 फीसदी पर पहुंच गई जो अब तक की सर्वाधिक है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस दौरान संक्रमण से 585 और लोगों की मौत हो गयी। बृहस्पतिवार को संक्रमण का पता लगाने के लिए 19,70,495 नमूनों की जांच की गयी।
कोविड टीकों के मिश्रण के पक्ष में नहीं पूनावाला
पुणे : कोविशील्ड के उत्पादक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के चेयरमैन डा. साइरस पूनावाला कोरोना के दो अलग-अलग टीकों की खुराक देने के पक्ष में नहीं हैं। यहां एक भेंट में उन्होंने कहा, ‘मैं दो अलग-अलग टीकों को मिलाने के विरुद्ध हूं।’ उनसे एक ही व्यक्ति को कोविशील्ड और कोवैक्सीन की अलग-अलग खुराक देने के आईसीएमआर के एक अध्ययन के बारे में पूछा गया था। पूनावाला ने कहा, ‘अगर कॉकटेल के परिणाम अच्छे नहीं आते तो एसआईआई कह सकता है कि दूसरा टीका सही नहीं था। इसी तरह दूसरी कंपनी कह सकती है कि आपने सीरम के टीके को मिला दिया इसलिए अपेक्षित परिणाम नहीं मिले।’