चंडीगढ़ में PGIMER का PGIVAC 2025: वैश्विक वैक्सीन विशेषज्ञों का होगा संगम
चंडीगढ़, 8 जून (ट्रिन्यू)
चिकित्सा शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान पोस्टग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) में 9 से 13 जून, 2025 तक चौथा पोस्टग्रेजुएट इंटरनेशनल वैक्सिनोलॉजी कोर्स (PGIVAC 2025) आयोजित किया जाएगा। यह पांच दिवसीय कोर्स वैक्सीन विकास और टीकाकरण के आधुनिक विज्ञान में गहन प्रशिक्षण प्रदान करेगा, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए ज्ञानवर्धक साबित होगा।
PGIVAC 2025 का भव्य उद्घाटन नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद कुमार पॉल मुख्य अतिथि के रूप में करेंगे, जबकि भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल डॉ. राजीव रघुवंशी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. अरुण अग्रवाल कर रहे हैं, जिन्होंने बताया कि यह कोर्स चिकित्सा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, माइक्रोबायोलॉजी, फार्माकोलॉजी सहित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
कोर्स निदेशक प्रो. मधु गुप्ता के अनुसार, इस कोर्स में वैक्सीन के इतिहास से लेकर इसके विकास की विभिन्न अवस्थाओं, इम्यूनोलॉजी, नैतिकता और नियामक प्रोटोकॉल, राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रमों में वैक्सीन के समावेश, तथा वर्तमान और उभरती वैक्सीन तकनीकों पर विशेषज्ञ सत्र शामिल होंगे।
इस कार्यक्रम में विश्वस्तरीय वैक्सीन विशेषज्ञ भी शामिल होंगे, जिनमें आधुनिक वैक्सिनोलॉजी के जनक और यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया के प्रोफेसर एमेरिटस डॉ. स्टेनली प्लॉटकिन, गेट्स फाउंडेशन, यूएसए के पोलियो उन्मूलन विशेषज्ञ डॉ. आनंद बंद्योपाध्याय, पूर्व PGIMER डीन डॉ. राजेश कुमार, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. जयप्रकाश मुलियिल, और ICMR के पूर्व निदेशक डॉ. निर्मल के गांगुली शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से यूके के ब्रिस्टल मेडिकल स्कूल के प्रो. एडम फिन बाल रोग इम्यूनोलॉजी पर गहन ज्ञान साझा करेंगे, जबकि दक्षिण कोरिया के इंटरनेशनल वैक्सीन इंस्टिट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. जॉन क्लेमेंस वैश्विक वैक्सीन अनुसंधान की प्राथमिकताओं पर संवाद करेंगे।
लगभग 70 प्रतिभागी देश भर से, जिनमें वैक्सीन वैज्ञानिक, चिकित्सक, शोधकर्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ शामिल हैं, इस कोर्स में भाग लेकर अपने क्षेत्र में नई तकनीकों और नीतियों को समझेंगे और वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान में योगदान देंगे।
यह कार्यक्रम भारत में टीकाकरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो देश के स्वास्थ्य क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेगा।