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PGIMER : अब अरुणाचल में भी शुरू होगा किडनी ट्रांसप्लांट; पीजीआई से मांगा सहयोग, स्वास्थ्य मंत्री बोले- आपने हमें हिम्मत दी

05:17 PM Jul 10, 2025 IST
pgimer   अब अरुणाचल में भी शुरू होगा किडनी ट्रांसप्लांट  पीजीआई से मांगा सहयोग  स्वास्थ्य मंत्री बोले  आपने हमें हिम्मत दी
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विवेक शर्मा/चंडीगढ़, 10 जुलाई

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PGIMER : अरुणाचल प्रदेश के मरीजों को अब किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बाहर नहीं भटकना पड़ेगा। राज्य सरकार अपने यहां रीनल ट्रांसप्लांट सुविधा शुरू करने जा रही है, और इसके लिए पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ से तकनीकी व अकादमिक सहयोग मांगा गया है। इसी उद्देश्य से अरुणाचल के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री बियूराम वहगे गुरुवार को पीजीआई पहुंचे। उन्होंने कहा, "हमारे मरीजों के लिए यह जीवन की उम्मीद है। पीजीआई ने जो मार्गदर्शन दिया है, उसी से हमें यह सपना पूरा करने का साहस मिला है।"

मंत्री के साथ उनके सलाहकार डॉ. मोहेश चाई, ट्रिहम्स (TRIHMS) के निदेशक डॉ. मोजी जीनी और ओएसडी डॉ. गोमी बसर भी मौजूद रहे। यहां पीजीआई निदेशक प्रो. विवेक लाल ने उनका स्वागत किया। साथ में डीन (अकादमिक) प्रो. आर.के. राठौ, डीन (अनुसंधान) प्रो. संजय जैन, कार्यवाहक उपनिदेशक (प्रशासन) प्रो. अरुण बंसल, मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. विपिन कौशल सहित ट्रांसप्लांट से जुड़े वरिष्ठ डॉक्टर भी शामिल रहे।

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बैठक में बताया गया कि अरुणाचल से डॉक्टरों और ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटरों का यह दूसरा बैच पीजीआई में प्रशिक्षण ले रहा है। पहला बैच पहले ही व्यापक प्रशिक्षण लेकर लौट चुका है। अब दूसरा बैच भी तैयार किया जा रहा है, ताकि राज्य में खुद का ट्रांसप्लांट सिस्टम विकसित हो सके।

मंत्री बियूराम वहगे ने भावुक होकर कहा, "मैं यहां सिर्फ सहयोग मांगने नहीं, बल्कि धन्यवाद कहने आया हूं। पीजीआई ने हमारी टीम को तैयार करके जो सहयोग दिया है, उसने राज्य के हजारों मरीजों को उम्मीद दी है। हमें अब अपने राज्य में ट्रांसप्लांट शुरू करना है और इसमें हमें पीजीआई की पूरी मदद चाहिए।"

इस पर निदेशक प्रो. विवेक लाल ने कहा, "स्वास्थ्य मंत्री का समर्पण अनुकरणीय है। उन्होंने औपचारिकताएं छोड़ दीं और सीधे आकर सिस्टम को समझने में समय लगाया। पीजीआई पूरी तरह से तैयार है – प्रशिक्षण, ऑब्जर्वरशिप, साझा प्रोटोकॉल – हर स्तर पर हम उनके साथ हैं।"

डायरेक्टर ने बताया कि अरुणाचल के डॉक्टरों को पीजी कोर्स में स्पॉन्सरशिप के साथ प्रवेश और शॉर्ट-टर्म ऑब्जर्वरशिप प्रोग्राम के अवसर दिए जाएंगे, ताकि वे बिना अपनी सेवा रोके आधुनिक तकनीक सीख सकें। यह मॉडल पहले भारतीय सेना के साथ भी सफल रहा है।

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