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PGI Chandigarh : पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ की टीम ने रचा इतिहास, देश में पहली बार रोबोट से हुई नसबंदी रिवर्सल सर्जरी

04:48 PM Jul 10, 2025 IST
pgi chandigarh   पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ की टीम ने रचा इतिहास  देश में पहली बार रोबोट से हुई नसबंदी रिवर्सल सर्जरी
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विवेक शर्मा/चंडीगढ़, 10 जुलाई

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PGI Chandigarh : पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने पुरुषों में बांझपन के इलाज की दिशा में देश को एक बड़ी उपलब्धि दिलाई है। संस्थान के यूरोलॉजी विभाग की टीम ने भारत की पहली रोबोटिक वेसोवासोस्टॉमी (vasovasostomy) सर्जरी सफलतापूर्वक की है। यह सर्जरी 9 जुलाई को 43 वर्षीय एक मरीज पर की गई, जो पहले नसबंदी करवा चुका था और अब दोबारा संतान की चाह रखता था।

इस उन्नत सर्जरी को डॉ. आदित्य प्रकाश शर्मा (एडिशनल प्रोफेसर), डॉ. गिर्धर बोरा (एडिशनल प्रोफेसर) और प्रो. रवि मोहन ने मिलकर अंजाम दिया।

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क्या है वेसोवासोस्टॉमी?

यह एक जटिल माइक्रो सर्जरी है, जिसमें नसबंदी के दौरान काटे गए शुक्राणु वाहक नलियों (vas deferens) को दोबारा जोड़ा जाता है। पारंपरिक तौर पर यह सर्जरी माइक्रोस्कोप से की जाती थी, लेकिन पीजीआई ने इसे पहली बार द विंची® रोबोटिक सर्जिकल सिस्टम से किया, जो और भी अधिक सटीक और स्थिर प्लेटफॉर्म देता है।

डॉ. शर्मा ने बताया, “रोबोटिक तकनीक के जरिए यह सर्जरी बेहद बारीकी से की जा सकती है। इसमें मानवीय बाल से भी पतले टांके लगाए जाते हैं। रोबोट से सर्जन की थकान कम होती है और हाथ कांपने जैसी दिक्कतों से बचा जा सकता है।”

आशा की नई किरण

सर्जरी के अगले ही दिन मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अब वह प्राकृतिक तरीके से संतान प्राप्ति की आशा कर सकता है। डॉ. शर्मा ने कहा, “यह तकनीक ऐसे दंपतियों के लिए नई उम्मीद है जो नसबंदी के बाद दोबारा संतान की योजना बना रहे हैं।”

एंड्रोलॉजी में नई शुरुआत

प्रो. रवि मोहन ने कहा, “अभी तक रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल मुख्य रूप से कैंसर या बड़ी पुनर्निर्माण प्रक्रियाओं में होता था। लेकिन यह केस दिखाता है कि अब इसे एंड्रोलॉजी और माइक्रोसर्जरी में भी लाया जा सकता है।”

वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान

इस उपलब्धि के साथ पीजीआईएमईआर अब उन चुनिंदा वैश्विक चिकित्सा संस्थानों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने यह जटिल सर्जरी रोबोटिक तरीके से की है। डॉक्टरों की टीम इस अनुभव को मेडिकल जर्नल में प्रकाशित करने की योजना बना रही है ताकि यह तकनीक अन्य चिकित्सा केंद्रों तक भी पहुंचे।

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