बद्दी को नगर निगम बनाने के विरोध में लोगों ने किया रोष प्रदर्शन
बीबीएन,3 दिसंबर (निस)
बद्दी को नगर निगम बनाने के विरोध में आज स्थानीय लोगों ने एक एक रोष रैली निकाली जिसमें लोगों ने बरोटीवाला से लेकर एसडीएम कार्यालय बद्दी तक पैदल मार्च करते हुए सरकार व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने मंगलवार को एक मंच पर लामबंद होकर एक स्वर में बद्दी निगम के प्रस्ताव का विरोध किया और कहा है कि अगर प्रदेश सरकार द्वारा जबरन बद्दी को निगम थोपा जाता है और पंचायतों को शामिल कर लिया जाता है तो उसका विरोध और भी आक्रामक तरीके से किया जाएगा। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जनता इसका पुरजोर विरोध कर रही है और सरकार ने फिर भी यह प्रस्ताव वापस नहीं लिया तो स्थानीय लोग एकत्र होकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। इस दौरान पूर्व भाजपा विधायक परमजीत सिंह पम्मी व समाजसेवी पूर्व वाइस चेयरमैन बलविंद्र ठाकुर ने कहा कि निगम में पंचायतों को शामिल करने से ग्रामीण क्षेत्र के 90 फीसदी लोगों को इसका सीधा-सीधा नुकसान होगा। क्षेत्र में 90 फीसदी जमीन लोगों की कृषि योग्य जमीन है। इस जमीन पर मिलने वाली सब्सिडी बंद हो जाएगी। क्षेत्र में अाबादी बढ़ जाएगी। पूर्व विधायक परमजीत सिंह पम्मी ,बलविंद्र ठाकुर सहित करीब पांच पंचायतों के प्रतिनिधियों ने कहा कि बद्दी को निगम बनाने के पीछे केवल एकमात्र मकसद धारा 118 के तहत उद्यमियों व बिल्डरों को लाभ देना है। बद्दी को निगम मिलने से कोई विकास नहीं मिलने वाला बल्कि उन्हें कई तरह के टैक्स का सामना करना होगा। इसमें उद्यमियों को भी उल्टा दो फीसदी इलेक्ट्रिसिटी व स्टांप का टैक्स देना होगा। प्रापर्टी टैक्स देना होगा। एसडीएम बद्दी विवेक महाजन का कहना है कि स्थानीय लोगों का प्रतिनिधिमंडल आज उनसे मिला व उनकी मांग को प्रदेश सरकार तक पहुंचाया जाएगा। इस अवसर पर पूर्व विधायक परमजीत सिंह पम्मी, प्रधान राजेंद्र झल्ला, राजकुमार राजू, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष कुलतार सिंह मेहता, होटल एसोसिएशन के अद्यक्ष बलविंदर ठाकुर, उप प्रधान बरोटीवाला हितेंदर कुमार सोनू, कांग्रेस सेवा दल के प्रदेश महासचिव हरबंस ठाकुर, भटोलीकलां पंचायत प्रधान सोनू देवी, उप प्रधान बिल्लु खान, बरोटीवाला के प्रधान हंसराज आदि मौजूद थे।
‘किसानों की भूमि पर निगम थोपना गलत’
पंचायत प्रतिनिधियों ने कहा कि निगम में प्रस्तावित जन पंचायतों को दर्शाया गया है, वहां 90 फीसदी भूमि किसानों की है। सभी किसान इस निगम के विरोध में हैं। चंडीगढ़ और पंचकूला की तर्ज पर अगर सरकार निगम बनाना चाहती है तो उन्हीं की तरह उन्हें सारी जमीन को पहले एक्वायर करना चाहिए। उसके बाद ही ऐसे नियम लागू करने चाहिए। बिना सुविधाओं के निगम थोप देना राज्य सरकार की नाकामी होगी।