9 वर्षों से चंडीगढ़ के लोग पेंशन बढ़ोतरी का कर रहे इंतजार
मनीमाजरा (चंडीगढ़), 11 मार्च (हप्र)
चंडीगढ़ युवा दल ने वृद्धावस्था और विधवा पेंशन मुद्दे को उजागर करने के लिए राष्ट्रपति सचिवालय को पत्र लिख राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने का समय मांगा है। युवा दल की चेयरपर्सन इंदरजीत कौर और प्रधान विनायक बंगिया ने कहा कि चंडीगढ़ के लोग 9 वर्षों से पेंशन बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे हैं। यह एक सामाजिक मुद्दा है जो गरीब जनता से जुड़ा हुआ है। तमाम कोशिशों के बाद भी इसका हल नहीं निकल रहा है। इसलिए हमने राष्ट्रपति को पत्र लिख समय मांगा है ।
उल्लेखनीय है कि चंडीगढ़ प्रशासन चंडीगढ़ के वृद्ध और विधवा व्यक्तियों को 1000 रुपये की पेंशन दे रहा है। यूटी प्रशासन ने आखिरी बार फरवरी 2016 में पेंशन को 500 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये किया था। तब से पेंशन में एक बार भी बढ़ोतरी नहीं की गई है। इस दौरान पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश समेत लगभग सभी राज्यों ने कई बार पेंशन राशि में बढ़ोतरी की है।
दो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की राजधानी में पूरे उत्तर भारत में सबसे कम पेंशन है, जो कि मात्र 1,000 रुपये है। जबकि पड़ोसी राज्य हरियाणा में पेंशन इससे लगभग तीन गुना अधिक है। महंगाई के इस दौर में 1000 रुपये की पेंशन सिर्फ नाम की है। बुढ़ापे में बुजुर्ग, विकलांग और असहाय विधवाओं को अपनों की उपेक्षा का सामना करना पड़ रहा है। पड़ोसी राज्यों में पेंशन में बढ़ोतरी की गई है, लेकिन चंडीगढ़ में लोग केंद्र शासित प्रदेश होने का खमियाजा भुगत रहे हैं। करीब तीन साल पहले यूटी प्रशासक द्वारा गठित समाज कल्याण समिति की ओर से पेंशन 1,000 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये करने का प्रस्ताव भेजा गया था। प्रशासन ने इसे मंजूरी के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी भेजा था, लेकिन आज तक बुजुर्ग पेंशन में बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे हैं।
पेंशन वृद्धि पर नहीं गया कोई प्रस्ताव
मनीमाजरा (चंडीगढ़) (हप्र) : चंडीगढ़ के सांसद तिवारी ने संसद में सामाजिक सुरक्षा पेंशन, विशेष रूप से वृद्धावस्था पेंशन और विकलांग पेंशन के संबंध में एक सवाल पूछा। उनके सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि चंडीगढ़ प्रशासन ने वर्ष 2011, 2012 और 2016 में विभिन्न श्रेणियों की पेंशनों में संशोधन के लिए कोई प्रस्ताव केंद्र सरकार को नहीं भेजा है। सांसद तिवारी ने इस स्थिति पर नाराजगी जताते हुए इसे चंडीगढ़ के गरीब और जरूरतमंद नागरिकों के साथ अन्याय करार दिया। उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा में समय-समय पर पेंशनों की समीक्षा होती है, जबकि चंडीगढ़ में यह प्रक्रिया रुकी हुई है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रशासन ने सबसे कमजोर वर्गों की पेंशन को पंजाब और हरियाणा के स्तर तक लाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे को मजबूती से उठाएंगे और पेंशन में संशोधन के लिए प्रशासन पर दबाव बनाएंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि चंडीगढ़ में बढ़ती महंगाई के बावजूद पेंशन दरें कई वर्षों से स्थिर हैं, जिससे गरीब और जरूरतमंद लोग प्रभावित हो रहे हैं।