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ओपीएस आंदोलन तेज करेगी पेंशन बहाली संघर्ष समिति

11:17 AM Jun 09, 2024 IST
ओपीएस आंदोलन तेज करेगी पेंशन बहाली संघर्ष समिति
कैथल में शनिवार को बैठक को संबोधित करते समिति के नेता। -हप्र
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कैथल, 8 जून (हप्र)
पेंशन बहाली संघर्ष समिति की राज्य कार्यकारिणी और सभी जिलों की कार्यकारिणी की मीटिंग प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र धारीवाल की अध्यक्षता में हुई। बैठक का संचालन महासचिव ऋषि नैन ने किया।
बैठक में पुरानी पेंशन की बहाली के लिए सरकार से आरपार की लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया। धारीवाल ने कहा कि प्रदेश का हर कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली के लिए लगातार आंदोलन कर रहा है, लेकिन अंहकारी सरकार सत्ता के नशे में चूर है और कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकार पुरानी पेंशन बहाल नहीं कर रही है। धारीवाल ने कहा कि समिति पुरानी पेंशन की बहाली के लिए हर उस लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करेगी, जो उन्हें संविधान में दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की तमाम जिलों की कार्यकारिणी और राज्य कार्यकारिणी के साथ चर्चा करके संघर्ष की आगामी रूपरेखा तैयार कर ली है।
सुरेंद्र माजरा जिला प्रधान कैथल ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में 1 जुलाई से 10 अगस्त तक पेंशन आक्रोश मार्च निकाला जाएगा और 1 सितंबर को पंचकूला में रैली करके चंडीगढ़ में स्थित मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया जाएगा। प्रदेश महासचिव ऋषि नैन ने चेताया कि प्रदेश का हर कर्मचारी पेंशन बहाली के लिए सरकार से सीधे तौर पर टकराने के लिए तैयार है। मुख्यमंत्री को याद होगा कि 19 फरवरी, 2024 को कर्मचारी अपनी मांग रखने के लिए आए थे, लेकिन सरकार ने कर्मचारियों पर लाठियां बरसाने का काम किया और आंसू गैस के गोले बरसाने का काम किया।समिति सीएम से भी अपील करती है कि कर्मचारियों की पेंशन बहाल करने का काम करें।
‘सांसद विधायकों को पेंशन तो हमें क्यों नहीं’
उन्होंने कहा कि एक देश में दो विधान नहीं चलेंगें। विधायक और सांसद शपथ लेते ही पेंशन का अधिकारी हो जाता है और कर्मचारी को 30 से 35 साल की सेवा देने के बाद भी पेंशन नहीं। यहां तक कि विधायक या सांसद एक से अधिक बार विधायक या सांसद बनने पर एक पेंशन के बजाय कई कई पेंशन पाते हैं। आज आमजन भी यह सच्चाई जान चुका है कि नेता अपने लिए कई-कई पेंशन का प्रावधान कर लेते हैं, लेकिन आम जनता के बीच से सरकारी सेवा में आने वाले कर्मचारी को पेंशन नहीं है। धारीवाल ने यह भी बताया कि पेंशन बहाली संघर्ष समिति का यह आंदोलन आज जन आंदोलन का रूप ले चुका है।

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