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कुंवारों की पेंशन विवाहितों को टेंशन

08:47 AM Jul 12, 2023 IST
कुंवारों की पेंशन विवाहितों को टेंशन
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धर्मेंद्र जोशी

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जब से एक सूबे के मुख्य सेवक ने कुंवारों को पेंशन देने की घोषणा की है, कई शादीशुदा अपने आप को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं और खुद से ही यह कहते हुए पाये जा रहे हैं कि शादी की इतनी जल्दी क्या थी? काश! यह पेंशन की घोषणा कुछ वर्ष पूर्व हो गई होती, और इसका दायरा अखिल भारतीय होता, तो हम भी इस अभिनव योजना की जद में आ जाते, जिससे अनेकानेक दैनन्दिन गृहस्थी के झंझावात से बच जाते।
इस खबर को पढ़ते ही मेरा बालसखा मक्खन तो पशोपेश में पड़ गया है, जिसने पिछली गर्मी में ही अपने जीवन के चालीस वसंत पूर्ण किए हैं। मगर अभी तक शादी के बंधन से महरूम रहा है और इसीलिए हमेशा अपने सफेद बालों को काले रखने का जतन करता रहता है। लेकिन जैसे ही कुंवारों को पेंशन देने की खबर सुनी है, मक्खन के बाल प्राकृतिक रंग में देखे जा सकते हैं। उसके मन में यह पक्का विश्वास भी है कि आसन्न चुनावों को देखते हुए जिस राकेट की गति से लोकलुभावनी घोषणाएं हो रही हैं, कुंवारों की पेंशन योजना से वह स्वयं भी सौ प्रतिशत लाभान्वित होगा।
सरकार को कुंवारों की पेंशन योजना की राशि स्वीकृत करते समय कई प्रकार की सावधानियां भी रखनी पड़ेंगी। कई शादीशुदा भी इस योजना का लाभ लेने में पीछे नहीं रहेंगे। सदा युवा दिखने की कोशिश कर रहे लोगों को देखकर उनकी उम्र का पता ही नहीं चलता है। वैसे भी आजकल सच और अपनी उम्र छुपाने में लोगों ने महारत हासिल कर ली है।
वहीं दूसरी ओर, कुंवारों को पेंशन देने से हमारी आर्थिक तरक्की और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। जो दांत के डॉक्टर मरीजों की प्रतीक्षा में बैठे रहते हैं, उनके क्लीनिक पर नकली बत्तीसी लगवाने वालों की लम्बी कतार दिखाई देगी, क्योंकि चालीस से साठ साल की उम्र के बीच दांत दगा दे जाते हैं। इतना ही नहीं, डाई करवाने के प्रति भी लोगों का रुझान बढ़ेगा, जिससे हेयर डाई की बिक्री में इजाफा होगा। कुंवारे दिखने की चाह आसमान पर होगी।
हालांकि, महंगाई के मकड़जाल में फंसे हुए शादीशुदा लोग इस प्रकार की योजनाओं से थोड़े स्तब्ध होंगे, क्योंकि जिस द्रुत गति से वस्तुओं के दामों में बढ़ोतरी हुई है, कई लोग गृहस्थाश्रम से वानप्रस्थ की ओर लौटने की मुराद पाल बैठे हैं। वे बड़ी मुश्किल से अपने जीवन की गाड़ी चलाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में वे ये भी सोच रहे हैं कि कुंवारों को बैठे ठाले पेंशन न देकर यदि बेरोजगार हाथों को काम देते तो ज्यादा बेहतर होता।

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