बहुत कुछ कहती कलम
मनमोहन गुप्ता मोनी
हिंदी और हरियाणवी साहित्य विधा में आनंद प्रकाश आर्टिस्ट नया नाम नहीं है। ‘जब बोलती है कलम’ उनका ताजा प्रकाशित लघु कविता संग्रह संग्रह है। यूं कह सकते हैं कि गागर में सागर हैं आनंद की ‘जब बोलती है कलम’ की कविताएं। हल्के-फुल्के अंदाज़ में सहज भाषा में बहुत कुछ कह जाना लेखक की प्रतिभा को दर्शाता है। रिश्तों की बात हो, किसी विश्वास पात्र से विश्वासघात हो या पेड़ों के कटने की व्यथा हो, ऐसे बहुत से विषय हैं जो इस पुस्तक में देखने को मिलते हैं। लघु कविता लेखन आंदोलन में अग्रणी की भूमिका अदा करती हैं ये कविताएं।
‘कलम जब बोलेगी’ कविता में आनंद प्रकाश बहुत बड़ी बात कह जाते हैं कि कलम जब भी बोलती है भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करके छोड़ती है। भले चंद शब्दों की ही हो कविता, वह एक गहराई का संदेश छोड़ जाती है। कहा जाता है कि कलम एक हथियार है। लेकिन इस हथियार से निकली छोटी-छोटी कविताएं एक बड़ा संदेश देती हैं।
‘अच्छे की कद्र करो कुछ तो अच्छा पाओगे, अगर समझोगे केवल खुद को ही अच्छा, तो भला औरों को अच्छा कैसे पाओगे?’ ऐसे संदेश देती कविताएं पाठकों को पसन्द आएंगी, ऐसा मेरा विश्वास है।
पुस्तक : जब बोलती है कलम लेखक : आनंद प्रकाश ‘आर्टिस्ट’ प्रकाशक : आनंद कला मंच पब्लिकेशन, भिवानी पृष्ठ : 120 मूल्य : रु. 250.