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शांति उच्चारण

06:28 AM Jul 10, 2023 IST

गगन शर्मा

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शांति एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह सब जगह सदा विद्यमान रहती है, जब तक इसे हमारे या हमारे क्रिया-कलापों द्वारा भंग न किया जाए। यह जहां भी होती है, वहां सदा खुशियों का डेरा रहता है। इसीलिए शांति की प्राप्ति के लिए हम प्रार्थना करते हैं। शाम को टहलने निकला तो रास्ते में पंडित राम शरण त्रिपाठी मिल गए। स्नेहवश हम सब उन्हें रामजी कह कर बुलाते हैं। विद्वान पुरुष हैं। रामजी ने बताया कि जिस तरह सूर्य को केंद्र में रख सारे ग्रह उसका चक्कर लगाते हैं जिससे सूर्य की ऊर्जा उन्हें मिलती रहे, उसी तरह प्रभु यानी सर्वोच्च सत्ता, जो सारे विश्व का केंद्र है, उसकी परिक्रमा कर उनकी कृपा प्राप्त करने का विधान है। हमारे यहां दाएं भाग को ज्यादा पवित्र और सकारात्मक माना जाता है। इसीलिए जो हमारी सदा रक्षा करते हैं, उन प्रभु को हम अपनी दाईं और रख अपने आप को सदा सकारात्मक रहने की याद दिलाते हुए, उनकी परिक्रमा करते हैं।
ऐसे ही एक सवाल के बारे में मैंने पंडितजी से फिर पूछ लिया कि पूजा समाप्ति पर हम ‘शांति’ का उच्चारण तीन बार क्यों करते हैं? रामजी ने बताया कि शांति एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह सब जगह सदा विद्यमान रहती है। जब तक इसे हमारे या हमारे क्रिया-कलापों द्वारा भंग न किया जाए। इसका यह भी अर्थ है कि हमारी गतिविधियों से ही शांति का क्षय होता है पर जैसे ही यह सब खत्म होता है, शांति पुन: बहाल हो जाती है। यह जहां भी होती है वहां सदा खुशियों का डेरा रहता है। इसीलिए शांति की प्राप्ति के लिए हम प्रार्थना करते हैं, जिससे हमारी मुसीबतों, दुखों, तकलीफों का अंत होता है और मन को सुख की अनुभूति होती है। जीवन में कुछ ऐसी प्राकृतिक आपदाएं होती हैं जिन पर किसी का वश नहीं चलता, जैसे भूकंप, बाढ़ इत्यादि। कुछ ऐसी विपदाएं होती हैं जो हमारे द्वारा या हमारी गलतियों से घटती हैं जैसे प्रदूषण, दुर्घटना इत्यादि। कुछ शारीरिक और मानसिक परेशानियां होती हैं। इसलिए हम प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि वे हमारे दुखों, तकलीफों तथा जीवन में आने वाली अड़चनों का शमन करें।
चूंकि ये मुसीबतें तीन ओर से आती हैं, इसीलिए शांति का उच्चारण भी तीन बार किया जाता है। वैसे भी प्राचीन काल से यह मान्यता चली आ रही है कि ‘त्रिवरम सत्यमं’ यानी किसी भी बात को तीन बार कहने से वह सत्य हो जाती है, इसलिए अपनी बात को बल देने के लिए ऐसा किया जाता है।
साभार : कुछ अलग सा डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

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Tags :
उच्चारणशांति