मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

PCOD Problem जीवनशैली बदलने से पीसीओडी में राहत

04:05 AM Jan 15, 2025 IST
पीसीओडी की समस्या

 

Advertisement

हार्मोंस के असंतुलन की स्थिति में महिलाएं पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज यानी पीसीओडी सें ग्रस्त हो जाती हैं। इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में जीवनशैली के बदलाव राहत प्रदान करने वाले माने जाते हैं। हालांकि लक्षण महसूस हों तो तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिये।

डॉ. एके अरुण
पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज यानी पीसीओडी आजकल महिलाओं में एक आम समस्या है। दरअसल यह किसी महिला में एण्ड्रोजन यानी पुरुष हार्मोन की अधिकता के चलते होने वाला विकार हैं। पीसीओडी के प्रमुख लक्षणों में पीरियड्स में अनियमितता या नहीं आना, वे मुश्किल दिन दर्दभरे व लंबे होना, चेहरे पर अनचाहे बाल आना, मुंहासे, पेल्विक एरिया में दर्द, मातृत्व में कठिनाई होना है। जबकि पीसीओडी एक सामान्य हार्मोनल गड़बड़ी है जो अधिकतर युवा महिलाओं में देखा जाता है। हालांकि इसके विशेष लक्षण किसी भी आयुवर्ग की महिला में हो सकते हैं।
विकार के संकेत
पीसीओडी के कुछ शुरुआती लक्षण होते हैं। जब ये संकेत महसूस हों तो समय रहते चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिये। इस विकार को लाइफस्टाइल में सुधार करके मैनेज किया जा सकता है। अनियमित पीरियड्स पीसीओडी के शुरुआती संकेत हैं यानि मासिक चक्र में विलंब या अधिक समय तक रुकावट। वहीं इस स्थिति में शरीर पर ज्यादा बाल आने लगते हैं खासकर चेहरे पर रोएं व पेट और पीठ पर अधिक बाल होना।
सेहत पर असर
पीसीओडी की स्थिति में महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन हो जाता है और शरीर आवश्यकता से अधिक पुरुष हार्मोन का उत्पादन करता है। हार्मोनल असंतुलन के कारण अन्य समस्याओं के अलावा मासिक धर्म और प्रजनन या मातृत्व क्षमता में भी समस्या आती है। वहीं पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में मासिक धर्म चक्र अनियमित या लंबा हो सकता है। साथ ही पुरुष हार्मोन एण्ड्रोजन का स्तर भी उच्च हो सकता है। अंडाशय बड़ी संख्या में तरल पदार्थ (रोम) के छोटे संग्रह का उत्पादन कर सकते हैं और नियमित आधार पर अंडे जारी करने में विफल हो सकते हैं। यदि इलाज न किया जाए तो पीसीओडी हृदय रोग और मधुमेह जैसी अधिक गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है ।
जटिलताएं बढ़ने की स्थितियां
बांझपन : पीसीओडी बांझपन का भी कारण बन सकता है क्योंकि यह शरीर में ओव्यूलेशन की आवृत्ति को कम कर देता है।
मधुमेह : पीसीओडी शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनता है जिससे मधुमेह की आशंका बढ़ जाती है।
दिल की बीमारी : पीसीओडी शरीर में रक्तचाप बढ़ाता है जिससे हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
यूटराइन कैंसर : क्योंकि पीसीओडी की स्थिति में ओव्यूलेशन में देरी होती है, जिससे शरीर एंडोमेट्रियम, गर्भाशय की आंतरिक परत को मोटा होने का अनुभव करता है। इससे एंडोमेट्रियल कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है।
ऐसे करें मैनेज

Advertisement

एलोपैथी में अभी तक पीसीओडी का स्पष्ट इलाज नहीं है हालांकि आप सही उपचार और जीवनशैली में बदलाव लाकर इसे मैनेज कर सकते हैं। इसके निदान के लिये अल्ट्रासाउंड और रक्त परीक्षण की सलाह दी जाती है। वहीं अधिकांश पीसीओडी से ग्रस्त महिलाओं को वजन कम करने का परामर्श भी दिया जाता है। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम जैसे जीवनशैली में बदलाव से भी इस स्थिति में राहत मिलती है। यानी किसा युवा महिला में पीसीओडी की स्थिति में जीवनशैली में सुधार, संतुलित आहार यानी ऐसा खानपान जिसमें वसा और कार्बोहाइड्रेट कम हो का पालन करने की सलाह दी जाती है। यदि किसी को आशंका हो कि उसे पीसीओडी हो सकता है तो अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना अच्छी पहल है। पीसीओडी की समस्या का काफ़ी हद तक होमियोपैथी में इलाज किया जा सकता है। हालांकि होमियोपैथिक उपचार के लिए किसी अनुभवी चिकित्सक से परामर्श करें।

बिगड़े लाइफ स्टाइल की भूमिका

पीसीओडी के विकार की प्रमुख वजह अभी ज्ञात नहीं हो पायी हैं लेकिन हेल्थ विशेषज्ञों के मुताबिक, तेजी से बढ़ता स्ट्रेस लेवल, जीवनशैली में बदलाव, जैसे रात को देर से सोना और लेट उठना, धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन आदि इस रोग के मुख्य कारण माने जाते हैं। दरअसल, लाइफस्टाइल में नकारात्मक परिवर्तनों से महिलाओं के शरीर में हॉर्मोन्स का लेवल बिगड़ जाता है। वहीं यह प्रॉब्लम आनुवांशिक वजहों से भी हो सकती है।

Advertisement