बच्चों की शिक्षा तथा संस्कारों पर दें ध्यान : अंजलि आर्य
घरौंडा (निस)
वैदिक कथा परिवार की ओर से श्री कृष्ण कथा में अंतरराष्ट्रीय वक्ता बहन अंजलि ने चार आश्रमों की चर्चा करते हुए कहा कि ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास ये चार आश्रम सनातन धर्म की आधारशिला हैं। इन चारों में सबसे श्रेष्ठ गृहस्थ आश्रम है, जिसे योग आश्रम भी माना गया है। इसमें सप्तपदी के सात वचन मानव जीवन को सर्वोत्तम बनाने का संकल्प है। बुधवार को आयोजित श्री कृष्ण कथा में बहन अंजलि ने कहा कि वर्तमान में हमने विवाह को निर्वाह बना छोड़ा है, इसलिए गृहस्थ अब योग की जगह भोग आश्रम बन कर रह गया है। परिवार खंडित हो रहे हैं। सन्तान संस्कारहीन पैदा हो रही हैं। इसका मुख्य कारण विवाह के उचित उद्देश्य को न समझना है। उन्होंने कहा कि पुराने समय में बच्चों को 8 वर्ष का होते ही गुरुकुल में भेज दिया जाता था, जहां वातावरण व खानपान शुद्ध होता था। 25 वर्ष तक सिर्फ पढ़ाई एवं संस्कारों पर ही ध्यान दिया जाता था। उन्होंने कहा कि आजकल के बच्चे संस्कारों की अपेक्षा मोबाइल पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोबाइल बच्चों को जागरूक करने का साधन तो हो सकता, लेकिन मोबाइल जीवन की सच्चाई नहीं है। उन्होंने बच्चों को आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षा व संस्कारों की ओर ज्यादा ध्यान दें।