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जुनूनी जज्बे से पवन बने आंधी

07:49 AM Jun 21, 2024 IST
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अरुण नैथानी

हाल के आंध्रप्रदेश विधानसभा व लोकसभा चुनाव में सौ फीसदी स्ट्राइक रेट से कामयाबी का झंडा बुलंद करने वाले दक्षिण भारतीय फिल्म स्टार पवन कल्याण आजकल सुर्खियों के सरताज हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में हारने वाले पवन की कामयाबी निश्चित रूप से चौंकाने वाली है। यही वजह है कि लोकसभा चुनाव के ठीक बाद एनडीए घटक दलों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी कामयाबी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में शत-प्रतिशत सफलता हासिल करने वाले ‘पवन महज पवन नहीं, आंधी हैं।’ पवन की यह कामयाबी इसलिए भी शानदार है कि उनके बड़े भाई व दक्षिण के सुपर स्टार चिरंजीवी आंध्रप्रदेश में फिल्मी दुनिया से निकलकर महत्वाकांक्षा के साथ राजनीति में उतरे थे। उन्होंने 2008 में प्रजा राज्यम‍् पार्टी भी बनायी थी। कालांतर में राजनीति में कामयाबी न मिलने पर उन्होंने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस पार्टी में कर दिया था। हालांकि, कल्याण भी उनके साथ राजनीति में सक्रिय थे, लेकिन वे कांग्रेस में शामिल नहीं हुए।
पवन कल्याण ने 2014 में जनसेना पार्टी की स्थापना आंध्रप्रदेश में की थी। इस साल लोकसभा चुनाव में उन्होंने खुद तो चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन टीडीपी व भाजपा को समर्थन दिया। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में वे खुद अकेले लड़े मगर सफल नहीं हो सके। लेकिन पिछले सालों में उन्होंने पार्टी को जनता की आवाज बनाया। इस दौरान उन्होंने जनसेना के नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई, लेकिन जनसेवा करते रहने का आदेश दिया। इससे पार्टी की विश्वसनीयता बढ़ी और खुद की सफलता के साथ, वाईएसआर कांग्रेस को हराने में जनसेना ने बड़ी भूमिका निभायी।
फिलहाल सुर्खियां बटोर रहे पवन निश्चित रूप से किस्मत के धनी हैं। हालिया नामांकन पत्र दाखिल करते वक्त उनकी संपत्ति एक अरब 65 करोड़ दर्शायी गई है। बताते हैं कि दसवीं पास कल्याण कई बार परीक्षा में फेल भी हुए थे। उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता था। वक्त के साथ कामयाबी व शोहरत ने उन्हें इस मुकाम पर पहुंचा दिया कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें स्पीच देने के लिये आमंत्रित किया था। वर्ष 2017 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में इंडिया कॉन्फ्रेंस के 14वें संस्करण में उन्हें भाषण देने के लिये कहा गया था। बहरहाल, वे ज्यादा पढ़े-लिखे न होने के बावजूद जीवन में कामयाबी की नई इबारत लिख रहे हैं। वे सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को किताबें पढ़ने के लिये प्रेरित करते हैं। उनकी रुचि दर्शन, इतिहास व साहित्य पढ़ने में है।
आंध्र प्रदेश के गोदावरी जिले में एक बेहद सामान्य पृष्ठभूमि वाले परिवार में कोनेडेला वेंकट राव और अंजना देवी के घर पवन कल्याण का जन्म हुआ। उनका मूल नाम कोनेडेला कल्याण बाबू था। उनके पिता पुलिस में कांस्टेबल थे। उनके लगातार स्थानांतरण होते रहने से इसका प्रभाव पवन की पढ़ाई पर पड़ता रहा। एक वजह यह भी थी कि कल्याण का मन पढ़ाई से उचटता रहा।
आज, पवन कल्याण का परिवार आंध्र प्रदेश का एक प्रतिष्ठित परिवार है। बड़े भाई चिरंजीवी दक्षिण भारत के सुपर स्टार माने जाते हैं। वहीं दूसरे बड़े भाई निर्माता, अभिनेता नागेंद्र बाबू भी दक्षिण फिल्म इंडस्ट्री में जाना-माना नाम है। इतना ही नहीं, दक्षिण भारतीय फिल्मों के दमदार सितारे रामचरण तेजा, अल्लू अर्जुन व वरुण तेज उनके भतीजे हैं।
पिछले दिनों पवन कल्याण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, जिसमें अप्रत्याशित राजनीतिक कामयाबी के बाद वे अपने बड़े भाई चिरंजीवी के घर में उनके चरणों में सिर रखकर आशीर्वाद ले रहे हैं। इसे संयुक्त परिवार में जीवन मूल्यों के उज्ज्वल पक्ष के रूप में चित्रित किया गया। हालांकि, पवन कल्याण का निजी जीवन खासा उथल-पुथल भरा रहा है। उनकी दो शादियां ज्यादा समय तक नहीं चल सकीं। वर्ष 1997 में नंदिनी से उनका विवाह हुआ, यह विवाह दस साल चला। वर्ष 2009 में अपनी सह-अभिनेत्री रेनू देसाई से विवाह किया। फिर 2012 में उनका दूसरा तलाक हुआ। बाद में वर्ष 2013 में रूसी अभिनेत्री और मॉडल अन्ना लेजनेवा से विवाह किया। अन्ना पहले से तलाकशुदा थी और एक बेटी की मां थी। इस बेटी को भी पवन कल्याण ने बेटी के रूप में अपनाया। वे आज चार बच्चों के पिता हैं।
बहरहाल, हालिया चुनावों के परिणामों ने आंध्र प्रदेश में पवन कल्याण की राजनीतिक कामयाबी की नई इबारत लिखी है। वर्ष 2017 में उन्होंने तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री का अपना सफल करिअर छोड़ते हुए राजनीति में जिस मकसद से पदार्पण किया, उसमें वे कामयाब होते नजर आ रहे हैं। वे केंद्र व राज्य सरकारों में सहयोगी दल के रूप में विद्यमान हैं। वे चंद्रबाबू नायडू सरकार में उपमुख्यमंत्री बने हैं। उनकी पार्टी जनसेना विधानसभा चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।
बहरहाल, आज पवन कल्याण की धमक केंद्र से राज्य सरकार तक है। कभी निराश होकर आत्महत्या तक की कोशिश करने वाले पवन के सितारे आज बुलंद हैं। वे फिल्मों में भी नहीं आना चाहते थे। वे कृषि में भविष्य आजमाना चाहते थे। लेकिन भाभी सुरेखा ने उन्हें फिल्मों में आने के लिये प्रेरित किया। फिर वर्ष 1996 में उनकी पहली फिल्म आई। पिछली सदी के आखिरी दशक में कई हिट फिल्में देकर वे बड़े स्टार बने। कई ब्लॉकबस्टर फिल्में देने वाले पवन एक समय साउथ की फिल्मों के सबसे ज्यादा मेहनताना लेने वाले एक्टर थे। करीब दो दशक के फिल्मी करिअर के दौरान पवन कल्याण को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल चुका है। शोहरत के धनी पवन का नाम कई बार फोर्ब्स इंडिया की सेलिब्रिटी सूची में शामिल रहा है।

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