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Pauranik Kathayen : रथयात्रा से पहले भगवान जगन्नाथ को क्यों आता है बुखार? आप भी नहीं जानते होंगे ये रहस्य

10:50 PM Jun 27, 2025 IST
pauranik kathayen   रथयात्रा से पहले भगवान जगन्नाथ को क्यों आता है बुखार  आप भी नहीं जानते होंगे ये रहस्य
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चंडीगढ़, 27 जून (ट्रिन्यू)

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Pauranik Kathayen : ओडिशा के पुरी में स्थित श्रीमंदिर में विराजमान भगवान जगन्नाथ न केवल भारत के धार्मिक जीवन का एक महत्वपूर्ण केंद्र हैं बल्कि वे मानव रूप में अपने भक्तों के साथ व्यवहार करते हैं। उनके जीवन में भी उत्सव, विश्राम, बीमारी और इलाज की परंपराएं देखी जाती हैं। यही कारण है कि हर वर्ष आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की दशमी से लेकर पूर्णिमा तक, भगवान जगन्नाथ "बीमार" पड़ते हैं और विश्राम करते हैं। इस विशेष अवधि को "अनसरा" (Anasara या Ansara) कहा जाता है।

भगवान जगन्नाथ को क्यों आता है बुखार?

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स्नान पूर्णिमा के दिन (जून के आसपास), भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को 108 घड़ों के ठंडे जल से स्नान करवाया जाता है। इसे "स्नान यात्रा" कहा जाता है। मान्यता है कि इस विशेष स्नान के बाद तीनों देवी-देवताओं को बुखार हो जाता है। तब उन्हें आम जनता के दर्शन से दूर रखा जाता है और श्रीमंदिर के भीतर "अनसरा गृह" (विश्राम कक्ष) में लाया जाता है। यहां वे 15 दिनों तक 'विश्राम' करते हैं और वैद्यों (राज वैद्य) द्वारा जड़ी-बूटियों और औषधियों से उनका उपचार किया जाता है।

भक्तों के लिए बंद कर दिए जाते हैं गर्भगृह के द्वार

इन 15 दिनों में भगवान को हल्का और सुपाच्य भोजन दिया जाता है। उन्हें "दासमुख वैद्य" नामक राज वैद्य द्वारा विशेष नबटोल (17 प्रकार की औषधियों) से तैयार काढ़ा और औषधीय पेय दिया जाता है। भगवान की सेवा करने वाले सेवक भी उनके साथ उपवास रखते हैं। विशेष नियमों का पालन करते हैं। इस दौरान मंदिर के मुख्य गर्भगृह को भी आम भक्तों के लिए बंद कर दिया जाता है।

करवट बदलते हैं भगवान

मान्यता है कि इस अवधि के बीच भगवान करवट भी बदलते हैं। उनकी मूर्तियों को विश्राम की अवस्था में रखा जाता है और बीच-बीच में करवट भी बदलवाई जाती है। यह आयोजन यह दर्शाता है कि भगवान अपने भक्तों की तरह सुख-दुख अनुभव करते हैं।

फिर ‘नवयौवन’ रूप में होते हैं दर्शन

अनसरा काल के समाप्त होने पर, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा ‘नवयौवन दर्शन’ में पहली बार पुनः भक्तों के समक्ष आते हैं। यह दिन ‘नवजौवन दर्शन’ कहलाता है और इसके तुरंत बाद प्रसिद्ध ‘रथ यात्रा’ प्रारंभ होती है।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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