Pauranik Kathayen : कौन हैं धन की देवी मां लक्ष्मी की बड़ी बहन अलक्ष्मी, पीपल के पेड़ क्यों करती हा वास?
चंडीगढ़, 1 जनवरी (ट्रिन्यू)
Pauranik Kathayen : हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है लेकिन बहुत कम लोग देवी लक्ष्मी की बड़ी बहन यानी देवी अलक्ष्मी के बारे में जानते हैं। माना जाता है कि देवी अलक्ष्मी का स्वभाव मां लक्ष्मी से बिल्कुल विपरीत है।
पुराणों में दिए गए वर्णन से पता चलता है कि मां लक्ष्मी का आराध्य रूप लाल वस्त्र पहने, आभूषणों से सजे कमल पर विराजमान, सोने और अन्न से भरा कलश लिए हुए दिखाई देता है। वह धन, समृद्धि, सुख और यश की देवी हैं। वहीं, देवी अलक्ष्मी को दरिद्रता, दुख, दुर्भाग्य, दुर्भाग्य और अशुभता की देवी माना जाता है। अलक्ष्मी श्याम वर्ण की हैं, उनके बाल बिखरे हुए हैं, उनकी आंखें लाल हैं और वह हमेशा काले कपड़े पहनती हैं।
देवी अलक्ष्मी की उत्पत्ति कैसे हुई?
शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय सबसे पहले हलाहल नामक विष निकला था, जिसे भगवान शिव ने पी लिया था। उसके बाद अमृत की उत्पत्ति हुई, जिसे मोहिनी रूप में भगवान श्री हरि विष्णु ने देवताओं को वितरित किया। हलाहल विष की बूंद से अलक्ष्मी जी का जन्म हुआ। इसी कारण से अलक्ष्मी को मां लक्ष्मी की बड़ी बहन माना जाता है।
माता लक्ष्मी ने दिया श्राप
माना जाता है कि जब श्री हरि विष्णु जी का विवाह माता लक्ष्मी से हुआ, तब अलक्ष्मी जी हमेशा वैकुंठ धाम पहुंच जाती थीं। जब भी भगवान विष्णु अकेले होते तो मां अलक्ष्मी गंदे पैर और बिखरे बाल लेकर उनके पास बैठ जाती थीं। यह देखकर एक दिन देवी लक्ष्मी बहुत क्रोधित हुईं और उन्होंने अपनी बड़ी बहन को श्राप देते हुए कहा कि तुम हमेशा उन घरों में निवास करोगी जहां साफ-सफाई नहीं होगी और तुम्हारे आगमन से घर में दरिद्रता प्रवेश करेगी।
कहां निवास करती हैं देवी अलक्ष्मी?
मां लक्ष्मी का क्रोध शांत होने के बाद भगवान विष्णु ने देवी अलक्ष्मी का विवाह उद्यालक नामक महर्षि से करा दिया। उद्यालक ऋषि अलक्ष्मी को अपने साथ आश्रम में ले गए जहां यज्ञ, धूप, दीप, मंत्र, ध्यान आदि हो रहे थे। मां लक्ष्मी के श्राप के कारण देवी अलक्ष्मी आश्रम को देखकर क्रोधित हो गईं और ऋषि से कहा कि यह स्थान उनके लिए उपयुक्त नहीं है। यह सुनकर उद्यालक ऋषि ने उनसे पूछा कि वे कहां निवास करना चाहती हैं।
इस पर देवी अलक्ष्मी ने कहा कि उन्हें वह स्थान प्रिय है जहां आरती, कीर्तन, धूप, दीप का पालन नहीं होता हो, जहां घर में हमेशा क्लेश रहता हो, जहां ब्राह्मणों का सम्मान नहीं किया जाता हो, जहां बेईमानी का पैसा रखा जाता हो, जहां घर में हर जगह गंदगी हो, शाम के समय कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता हो।
अलक्ष्मी जी के मुख से यह सब सुनकर ऋषि को बहुत दुःख हुआ और वे उन्हें वन में ले जाकर एक पीपल के वृक्ष के नीचे छोड़ आए। पति द्वारा त्यागे जाने के बाद देवी अलक्ष्मी वहीं बैठ कर विलाप करने लगीं। देवी अलक्ष्मी का विलाप सुनकर विष्णु जी ने उनसे कहा कि वे अपने प्रिय सभी स्थानों पर निवास कर सकती हैं।
पीपल के पेड़ पर करती हैं वास
मान्यता है कि पति द्वारा पीपल के वृक्ष के नीचे त्याग दिए जाने के कारण देवी अलक्ष्मी पीपल के वृक्ष पर निवास करने लगीं। यह भी एक कारण है कि सनातन धर्म में पूजनीय होने के बाद भी पीपल का वृक्ष लगाना अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि दिन के एक हिस्से में माता लक्ष्मी और रात में माता अलक्ष्मी वास करती है।
यही कारण है कि अगर घर में पीपल का पेड़ उग आए तो उसे तोड़ने या जलाने की बजाए उसे विधि-विधान से दूसरी जगह लगाना चाहिए। इस दौरान उस पर कच्चा दूध चढ़ाया जाता है और फिर उसे जड़ समेत निकालकर दूसरी जगह लगा दिया जाता है।