Pauranik Kathayen : जब सत्यभामा ने घमंड में रुक्मिणी के साथ की चालाकी, श्रीकृष्ण ने यूं सिखाया सबक
चंडीगढ़, 8 फरवरी (ट्रिन्यू)
Pauranik Kathayen : हिंदू धर्म में पारिजात फूलों को बहुत महत्व दिया जाता है , जिसे हरसिंगार, शेफाली, शिउली भी कहा जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर यह फूल बेहद पवित्र माना जाता है इसलिए हिंदू देवी-देवताओं को चढ़ाया जाता है। मगर, क्या आप जानते हैं कि मनमोहक खुशबू और खूबसूरती से भरपूर पारिजात का वृक्ष धरती पर कैसे आया।
स्वर्ग से धरती पर कैसे आया पारिजात वृक्ष
पौराणिक कथाओं की मानें तो भगवान श्री कृष्ण ]पत्नी सत्यभामा की जिद्द पूरी करने के लिए पारिजात को स्वर्ग से धरती पर लाए थे। यह फूल इतने खूबसूरत है कि इसके लिए सत्यभामा और रुक्मिणी में लड़ाई छिड़ गई थी। दरअसल, श्री कृष्ण इंद्रदेव को हराकर सत्यभामा के लिए वृक्ष धरती पर लाए थे। जब वृक्ष द्वारका पहुंचा तो रुक्मिणी को भी इसके फूल भा गए ।
जब रुक्मिणी को भी भा गए थे फूल
रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को जोर देकर कहा कि उसे भी यह फूल चाहिए। इससे श्रीकृष्ण के लिए दुविधा पैदा हो गई। चूंकि वह यह वृक्ष सत्यभामा के लिए लाए थे तो उन्होंने इसे बांटने का अनुरोध किया। मगर, सत्यभामा ने रुक्मिणी के बगीचे में पारिजात को इस तरह लगाया कि उसकी शाखाएं उनके अपने बगीचे पर लटकी हुई थीं। रुक्मिणी को पारिजात के रख-रखाव पर मेहनत करनी पड़ती थी। वहीं सत्यभामा अपने पति के अनुरोध को पूरा करते हुए पारिजात की सुंदरता का आनंद लेती थी।
श्रीकृष्ण से यूं सिखाया सत्यभामा को सबक
कृष्ण ने सत्यभामा की शरारत को पहचान लिया। उसे सबक सिखाने के लिए श्री कृष्ण ने कहा कि पारिजात फूल तभी खिलेगा जब वह रुक्मिणी के साथ होंगे। अब जब भी सत्यभामा पारिजात को खिले हुए पातीं तो उन्हें पता चल जाता कि कृष्ण रुक्मिणी के साथ हैं। उस क्षण के बाद से सत्यभामा को जलन होने लगी और वह पारिजात की सुंदरता पर फिर कभी खुश नहीं होती थी।