Pauranik Kathayen : श्रीकृष्ण ही नहीं, माता सती का भी है लोहड़ी से गहरा कनेक्शन, जानिए पौराणिक कथा
चंडीगढ़ , 13 जनवरी (ट्रिन्यू)
देशभर में आज लोहड़ी का पर्व उत्साह व उमंग के साथ मनाया जा रहा है, जोकि रबी फसलों की कटाई और सर्दियों के अंत का प्रतीक है। लोहड़ी के दिन लोग आग जलाकर नृत्य आदि करते हैं और लोक गीत गाते हैं। इस त्योहार पर अग्निदेव की पूजा का विधान है। इसके अलावा, लोहड़ी से माता सती व भगवान श्रीकृष्ण का भी गहरा संबंध है, जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे।
लोहड़ी का माता सती से कनेक्शन
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता सती के पिता प्रजापति दक्ष ने एक बार महायज्ञ का आयोजन किया, जिसमें समस्त देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया गया था। मगर, यज्ञ में उन्होंने अपनी पुत्री सती और भगवान शिव को आमंत्रण नहीं दिया। माता सती वहां जाने की जिद की। इसपर महादेव ने माता को समझाया कि उन्हें इस आयोजन में नहीं बुलाया गया।
उन्हें नहीं जाना चाहिए क्योंकि बिना बुलाए किसी भी आयोजन में जाना अपमान होता है। भगवान शिव के समझाने के बाद भी देवी सती नहीं मानी और भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। जब माता सती महायज्ञ में पहंची तो उनके पिता उन्हें देख नाखुश हुए। साथ ही प्रजापति दक्ष ने शिवजी के लिए अपमानजनक शब्द कहे, जिसे सुनकर माता सती बहुत दुखी हुईं। माता सती ने उसी महायज्ञ की अग्नि में आत्मदाह कर लिया। कहा जाता है कि तभी से माता सती की याद में लोहड़ी के पर्व की शुरुआत हुई।
लोहड़ी से जुड़ी भगवान श्रीकृष्ण की कथा
अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में जब सभी लोग मकर संक्रांति की तैयारियां कर रहे थे। इसी दौरान कंस से श्रीकृष्ण को मारने के लिए लोहिता नाम के राक्षस को भेजा। मगर, श्रीकृष्ण ने खेल-खेल में राक्षस अंत कर दिया। ऐसी मान्यता है कि लोहिता का वध होने के बाद से ही मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाने लगा।
दुल्ला भट्टी की कहानी
लोककथाओं के अनुसार, 1547, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत जन्में दुल्ला भट्टी गरीबों के मसीहा थे। वह अमीरों से धन छीनकर गरीबों में बांटा करते थे। सुंदर दास नाम के एक किसान की दो बेटियां सुंदरी और मुंदरी थी। वहां के नंबरदार की नीयत दोनों को लेकर खराब थी और वो उनसे शादी करना चाहता था लेकिन किसान को ऐसा मंजूर नहीं था। किसान ने सारी बात दुल्ला भट्टी को बताई।
तब दुल्ला भट्टी ने लोहड़ी के दिन नंबरदार के खेतों में आग लगा दी। इसके बाद उसने सुंदरी और मुंदरी का भाई बनकर उनकी अच्छे घर में शादी करावा दी, जिसके बाद से ही लोहड़ी में आग जलाई जाने लगी। कहा जाता है कि बादशाह अकबर ने दुल्ला भट्टा को पकड़कर फांसी की सजा सुनाई थी।
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