Pauranik Kathayen : स्वर्ग से धरती पर कैसे आई मां गंगा, यही क्यों बहाई जाती हैं अस्थियां?
चंडीगढ़, 29 जनवरी (ट्रिन्यू)
दुनियाभर के हिंदुओं के लिए गंगा सिर्फ एक नदी नहीं बल्कि एक देवी है। यह मां गंगा है, जो सीधे स्वर्ग से आई है। गंगा नदी को जाह्नवी, गंगे, शुभ्रा, सप्तेश्वरी, निकिता, भागीरथी, अलकनंदा और विष्णुपदी के नाम से भी जाना जाता है।
गंगा नदी के जल को शुद्ध, पवित्र माना जाता है इसलिए हर व्यक्ति यहां अपने पाप धोने आता है। हालांकि, कहा जाता है कि गंगा में उस व्यक्ति के ही पाप धुलते हैं जो अनजाने या गलती से किए गए हो।
यही नहीं, हिंदू धर्म में जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो अंतिम संस्कार के बाद उसकी अस्थियों को गंगा नदी में बहाया जाता है। इस नदी को मोक्षदायिनी भी माना जाता है लेकिन आप जानते हैं कि ऐसा क्यों है...
मृतकों को विदा करने के लिए हिंदू अनुष्ठान
हिंदू धर्म में दाह संस्कार मृतकों को उनके मोक्ष की तलाश में कहीं बेहतर जगह पर जाने की विधि है। शरीर को आत्मा के लिए एक अस्थाई पोत माना जाता है, जो शाश्वत है। ऐसा माना जाता है कि शरीर को जलाने से आत्मा अपने सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाती है और मोक्ष की ओर अपनी यात्रा शुरु कर सकती है।
पीछे छोड़ी गई राख
दाह संस्कार के बाद राख और बची हुई हड्डियों के टुकड़े परिवार द्वारा एकत्र किए जाते हैं। फिर इन अवशेषों को विसर्जन के लिए पवित्र नदी या गंगा में बहाने के लिए ले जाया जाता है। गंगा में अस्थियां या राख विसर्जित करना न केवल एक कर्तव्य है, बल्कि सभी हिंदुओं के लिए गहरा आध्यात्मिक भी है। यह शरीर के प्रकृति में वापिस लौटने और आत्मा के आसक्तियों से मुक्ति का प्रतीक है।
स्वर्ग से धरती पर कैसे आई मां गंगा
पौराणिक कहानियों के अनुसार, एक कपिल मुनि ने राजा सगर को श्राप दिया था, जिसके कारण उनके 60 हजार पुत्रों की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद उनके वंशज राजा भागीरथ ने घोर तपस्या की और मां गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी लोक लाए। फिर राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की राख को गंगा नदी में बहाकर शुद्ध किया और उनकी आत्माओं को मुक्ति दिलाई।
श्री कृष्ण से मिला था वरदान
पौराणिक कथा के अनुसार, श्री कृष्ण ने मां गंगा को आशीर्वाद दिया था कि जब तक मृत आत्मा की अस्थियां और हड्डियां मां गंगा में तैरती या बसती रहेंगी तब तक उस व्यक्ति की आत्मा गोलोक धाम में वास करेगी। गंगा नदी के अलावा हिंदू धर्म में पवित्र मानी जाने वाली नर्मदा, गोदावरी, ब्रह्मपुत्र और कृष्णा नदी में भी अस्थि विसर्जन किया जा सकता है।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।