Pauranik Kathayen : हनुमान जी की माता अंजनी थी देवलोक की सुंदर अप्सरा, ऋषि के श्राप ने बना दिया वानरी
चंडीगढ़, 30 दिसंबर (ट्रिन्यू)
Pauranik Kathayen : भारतीय संस्कृति में देवी-देवताओं से जुड़ी बहुत-सी रोचक कहानियां और मान्यताएं प्रचलित हैं। वहीं, श्रीराम भक्त हनुमान जी की जन्मकथा और उनकी बाल लीलाओं से जुड़ी कथाएं से तो हर कोई वाकिफ है। आज हम आपको हनुमान जी की माता अंजनी के बारे बताएंगे, जोकि स्वर्गलोक की सुदंर अप्सरा थी। जानें कि कैसे वह एक वानर बन गई...
हिंदू किंवदंतियों के अनुसार, माता अंजनी इंद्रदेव की सभा में एक दिव्य व सुंदर अप्सरा थीं, जिनका नाम पुंजिकस्थला था। वह स्वभाव से चंचल व नटखट थी। एक समय वह बाग में फल तोड़ रही थी। उनके नटखटपन से कुछ फल ऋषि पर जा गिरे। इससे उनकी तपस्या भंग हो गई और उन्हें अंजनी को श्राप दे दिया। ऋषि ने कहा कि जब पुंजिकस्थला को प्रेम होगा तो वह वानरी बन जाएगी।
वानरी रूप भी अत्यंत तेजस्वी और आकर्षक पुत्र का दिया वरदान
तब अंजनी ने ऋषि से मांफी मांगी और उनका हृदय पिघल गया। उन्होंने कहा कि वह श्राप वापिस नहीं ले सकते, लेकिन उन्होंने अंजनी को वानरी रूप भी अत्यंत तेजस्वी और आकर्षक पुत्र का वरदान दिया। उन्हें वानर प्रमुख केसरी से प्रेम हुआ और वह भी वानरी बन गई। उन्होंने वानर प्रमुख केसरी से विवाह किया, जिसके बाद उन्हें हनुमान जी प्राप्त हुए।
हनुमान को जन्म देने के बाद वह स्वर्ग लौट आईं थी। हनुमान का जन्म पंपा नदी के तट पर किष्किंधा में हुआ था, जिसे अब तुंगभद्रा के नाम से जाना जाता है। जिस स्थान पर हनुमान का जन्म हुआ, उसे अंजनाद्री पहाड़ी कहा जाता है, जो कर्नाटक के हम्पी के पास है। हनुमान को अंजनेया या अंजनायर भी कहा जाता है।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।