Pauranik Kathayen : जमीन से जितना ऊपर उतना ही नीचे ... इस शिवलिंग के आकार को रोकने के लिए गाढ़ी गई थी कील
चंडीगढ़, 4 जनवरी (ट्रिन्यू)
Matangeshwar Mahadev Temple : भारत में ऐसे कई मंदिर व धार्मिक संस्थान है, जहां देवी-देवताओं से जुड़ी बहुत-सी रोचक कहानियां और मान्यताएं समाहित हैं। आज हम आपको मध्य प्रदेश में स्थित एक ऐसे ही प्राचीन शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां शिवलिंग को बढ़ने से रोकने के लिए कील गाढ़ी गई है।
छतरपुर जिले के खजुराहो में स्थित विश्व धरोहर स्थल मतंगेश्वर मंदिर में स्थित शिवलिंग आज भी वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बना हुआ है। कहा जाता है कि 18 फीट शिवलिंग का आकार दिन-ब-दिन बढ़ रहा था इसलिए सालों पहले यहां कील गाड़ दी गई थी। इससे शिवलिंग का आकार बढ़ना बंद हो गया।
जमीन से जितना ऊपर उतना ही नीचे
ऐसा कहा जाता है कि यह प्राचीन शिवलिंग जितना धरती के ऊपर है उतना ही जमीन के नीचे है। शिवलिंग 9 फीट ऊपर और 9 फीट नीचे है। 8-9वीं शताब्दी में सबसे पहले इसी मंदिर का निर्माण करवाया गया था जबकि अन्य कलाकृति वाले मंदिरों का निर्माण 10-11वीं शताब्दी में किया गया है।
एक चावल दाने के बराबर बढ़ जाता था आकार
लोककथाओं के अनुसार, इस शिवलिंग का आकार हर साल एक चावल दाने के बराबर बढ़ जाता था। शरद पूर्णिमा पर शिवलिंग की लंबाई नापी जाती थी, जो बढ़ते-बढ़ते 18 फीट हो गई। फिर मंत्रों द्वारा कील स्पर्श करवाकर इसकी आकर को नियंत्रित कर दिया गया। चंदेल राजाओं के समय से इस मंदिर में पूजा-अर्चना होती आ रही है। ऐसी मान्यता है कि इस शिवलिंग को हांथ से स्पर्श करने पर हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
शिवलिंग के पीछे की कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने युधिष्ठिर को मार्कंड मणि दी थी, जिसे उन्होंने ऋषि मतंग को दे दिया। ऋषि मतंग ने आगे यह मणि हर्षवर्धन को दे दी और उन्होंने इसे जमीन में गाड़ दिया क्योंकि उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। फिर मणि के चारों ओर शिवलिंग विकसित होने लगा , जिसकी वजह से इसका नाम मतंगेश्वर नाम पड़ा।