Pauranik Kahaniyan : अधूरा सपना... धरती से स्वर्ग जाने के लिए रावण ने बनाई थी सीढ़ियां, लेकिन नहीं कर पाया पूरी, यहां आज भी मौजूद सबूत
चंडीगढ़, 31 मई (ट्रिन्यू)
Pauranik Kahaniyan : भारतीय पौराणिक कथाएं केवल धार्मिक विश्वासों का प्रतीक नहीं, बल्कि एक अद्भुत सांस्कृतिक धरोहर भी हैं। रामायण का रावण, जिसे हम अक्सर एक क्रूर राक्षस, विद्वान ब्राह्मण और शिव भक्त के रूप में जानते हैं, उसकी कई कहानियां ऐसी हैं जो आज भी रहस्य और कौतूहल का विषय बनी हुई हैं। इन्हीं में से एक है "स्वर्ग की सीढ़ियां" (Heaven's Stairs) बनाने का उसका प्रयास, जिसे रावण ने अपनी शक्ति और घमंड के प्रदर्शन के रूप में शुरू किया था।
माना जाता है कि यह रहस्यमयी प्रयास आज भी दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में देखने को मिलता है। रावण केवल एक योद्धा या राजा नहीं था बल्कि वह एक महान तपस्वी, वेदों का ज्ञाता और परम शिवभक्त भी था। अपने जीवन में उसने अनेक बार तपस्या द्वारा देवताओं से वरदान प्राप्त किए। किंवदंतियों के अनुसार, एक बार रावण ने यह ठान लिया कि वह स्वर्ग (इंद्रलोक) तक सीढ़ियां बनाएगा, ताकि वह देवताओं के साम्राज्य तक अपनी पहुंच सके। उसका उद्देश्य अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन करना भी था।
भगवान शिव ने दिया था वरदान
पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण ने धरती से स्वर्ग तक पत्थरों और पर्वतों की सहायता से एक सीढ़ीनुमा संरचना बनाने की कोशिश की, जिससे वह अमरता और ईश्वरत्व को प्राप्त कर सके। यह कार्य इतना विशाल और महत्वाकांक्षी था कि देवता भी चिंतित हो उठे। मगर, भगवान शिव से रावण को वरदान दिया था कि अगर वह एक दिन में पांच सीढ़ियां बना लेगा तो वह अमर हो जाएगा। मगर, सीढ़ियां पूरी होने से पहले ही उसे नींद आ गई और वह इस कार्य का पूरा ना कर सका।
इसलिए नहीं बना पाया स्वर्ग की सीढ़ियां
रावण ने पहली सीढ़ी हरिद्वार में बनाई था, जिसे आज के समय में हर की पौड़ी कहा जाता हैं। दूसरी सीढ़ी हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में पौड़ीवाला में बनाई, जहां आज शिव मंदिर स्थापित है। रावण ने तीसरी सीढ़ी चुड़ेश्वर महादेव और चौथी किन्नर कैलाश में बनाई थी। रावण को चौथी सीढ़ी बनाते समय नींद आ गई और जब वह जागा तो सुबह हो गई थी। इसलिए वह अमर नहीं हो पाया।
आज भी मौजूद हैं अवशेष?
कुछ किंवदंतियों के अनुसार, तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में स्थित "त्रिकूट पर्वत" या "त्रिकूटमलाई" को रावण द्वारा बनाई गई स्वर्ग की साढ़ियां कहा जाता है। तमिलनाडु में मौजूद कुछ पहाड़ी संरचनाएं, विशेषकर त्रिकूट पर्वत, में ऐसे पत्थर और पथरीले रास्ते मिलते हैं जो सीढ़ियों जैसे लगते हैं। हालांकि, इन पर कोई आधिकारिक पुरातात्विक पुष्टि नहीं है कि ये रावण द्वारा बनाए गए थे, फिर भी स्थानीय लोककथाएं इन स्थानों को पौराणिक महत्व प्रदान करती हैं।