Pauranik Kahaniyan : रावण ने मरने से पहले लक्ष्मण को दिया था अमूल्य ज्ञान, हर किसी के लिए जानना जरूरी
चंडीगढ़, 17 अप्रैल (ट्रिन्यू)
Pauranik Kahaniyan : रावण एक महान विद्वान, महाशक्तिशाली योद्धा और शिव भक्त था। हालांकि उसे उसका अहंकार और अधर्म विनाश की ओर ले गया। जब राम ने रावण का वध कर दिया तब वह मृत्युशय्या पर पड़ा था। रावण ने अपने जीवन में भले ही अनेक पाप किए हों, लेकिन मरते समय वह एक शिक्षक की भूमिका में थे। लक्ष्मण जैसे योद्धा ने भी उनसे ज्ञान प्राप्त किया।
रावण की अंतिम शिक्षाएं बताती हैं कि सबसे बड़ा ज्ञान वह होता है, जो अनुभवों से मिलता है। अगर हम उसे समझ लें तो अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। उस समय श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा कि वह रावण के पास जाकर उनके पैर छुए और उनसे ज्ञान प्राप्त करें। मरते समय एक ज्ञानी व्यक्ति बहुत मूल्यवान शिक्षा दे सकता है।
लक्ष्मण और रावण का संवाद
भगवान श्री राम की आज्ञा पाकर लक्ष्मण रावण के पास गए। पहले वे रावण के सिर के पास खड़े हो गए। रावण ने कुछ नहीं कहा। लक्ष्मण वापस राम के पास लौटे और कहा कि रावण कुछ नहीं बोल रहा। तब राम ने उन्हें समझाया कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमेशा विनम्रता आवश्यक है। गुरु या ज्ञानी व्यक्ति के चरणों में बैठकर ही शिक्षा प्राप्त की जाती है। फिर लक्ष्मण वापस गए और इस बार रावण के चरणों के पास बैठ गए। तब रावण ने अपने जीवन के अनुभवों से कुछ महत्वपूर्ण शिक्षाएं दीं।
शुभ कार्यों में देर नहीं करनी चाहिए
रावण ने कहा कि जब भी कोई अच्छा कार्य करना हो, तो उसे तुरंत कर लेना चाहिए। अन्यथा समय निकल जाता है और पछतावा ही रह जाता है। यह बात उन्होंने इस संदर्भ में कही कि उसने विभीषण की बात अगर समय पर मान ली होती या सीता को समय रहते लौटा दिया होता तो उसका विनाश नहीं होता।
बुरे कार्य को जितना हो सके, टालते रहना चाहिए
अगर कोई बुरा कार्य करना हो तो उसे जितना हो सके टालते रहना चाहिए। संभव है कि मन बदल जाए और कार्य न करना पड़े। यह शिक्षा रावण ने स्वयं के अनुभव से दी। उन्होंने क्रोध में आकर सीता हरण किया, जो उसके विनाश का कारण बना।
गुप्त रहस्य कभी भी किसी को नहीं बताने चाहिए
अपने रहस्य को कभी किसी के साथ साझा मत करो, चाहे वह कितना भी करीबी क्यों न हो। एक बार यदि रहस्य उजागर हो जाए तो वह आपके लिए घातक हो सकता है। यह बात अपनी मृत्यु की ओर संकेत करते हुए कही।
शत्रु को कभी भी तुच्छ न समझो
अपने शत्रु को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए, चाहे वह कितना भी साधारण दिखे। यह बात उन्होंने राम के बारे में कही। पहले वह सोचता था कि वे सिर्फ एक साधारण मनुष्य हैं, लेकिन वही साधारण व्यक्ति उसके अंत का कारण बना।
अहंकार विनाश की जड़ है
रावण के अनुसार उसका सबसे बड़ा दोष अहंकार था। उसने सोचा कि वह अजेय है, कोई उसे हरा नहीं सकता। यही उसके पतन का कारण बना। रावण ने लक्ष्मण से कहा कि कभी भी अपनी शक्ति का घमंड मत करो।
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