मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

देशभक्ति का जज्बा

06:30 AM Oct 03, 2023 IST

यह घटना सन‍् 1909 ई. की है। पंजाब में कपूरथला के राजा सर हरनाम सिंह की आठ संतानों में सात लड़के एवं एक लड़की थी। लड़की हाल ही में विदेश से पढ़ाई कर के लौटी थी। एक दिन अंग्रेजों ने सपरिवार राजा हरनाम सिंह को अपने यहां पार्टी में आमंत्रित किया। राजा पार्टी में अपनी 20 वर्षीया बेटी को भी ले गए। अंग्रेजों ने जब राजा हरनाम सिंह की आत्मविश्वास से भरपूर खूबसूरत, शिक्षित बेटी को देखा तो एक अंग्रेज अधिकारी उनके पास आकर बोला, ‘मुझे बहुत अच्छा लगेगा, यदि एक खूबसूरत राजकुमारी मेरे साथ नृत्य करेगी।’ लड़की इनकार करते हुए बोली, ‘मुझे किसी अंग्रेज के साथ नृत्य करना कतई अच्छा नहीं लगेगा।’ यह सुनकर अंग्रेज गुस्से में बोला, ‘इन भारतीयों को तो कभी आज़ादी नहीं देनी चाहिए।’ राजा की बेटी को अंग्रेज का यह दुर्व्यवहार बहुत बुरा लगा। वह पिता से बोली, ‘पिताजी, चाहे कुछ भी हो जाए मैं अपने देश को स्वतंत्र करने के लिए और महिलाओं के उत्थान के हरसंभव प्रयास करूंगी। आखिर मेरी शिक्षा और ज्ञान का लाभ देश को मिलना ही चाहिए।’ इसके बाद वे स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़ीं और कई बार जेल गईं। वे गांधीजी की सचिव भी रहीं। वे देश की पहली कैबिनेट मंत्री भी रहीं। उन्होंने एम्स जैसे अस्पताल की स्थापना में भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह महिला राजकुमारी अमृतकौर थीं, जिन्होंने आजीवन अविवाहित रहकर देश सेवा को अपना समस्त जीवन समर्पित कर दिया।

Advertisement

प्रस्तुति : रेनू सैनी

Advertisement
Advertisement