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न्यायपत्र का पथ

07:52 AM Apr 06, 2024 IST
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देश चुनावी रंग में नजर आ रहा है। सभी राजनीतिक दल अपने वायदे-इरादे जाहिर कर रहे हैं। यूं तो कांग्रेस लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के झंडे तले राजग का विकल्प बनाने की तैयारी में जुटी है लेकिन शुक्रवार को उसने कांग्रेस मुख्यालय में सोनिया गांधी, राहुल गांधी व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आदि की उपस्थिति में अपना घोषणा पत्र जारी किया। यूं तो घोषणापत्र में वे सभी मुद्दे शामिल हैं, जिनके आधार पर वह पिछले पांच सालों में मोदी सरकार को घेरती रही है। लेकिन पार्टी ने इसे न्याय पत्र का नाम दिया और 25 गारंटियों का जिक्र किया। जिसमें एससी,एसटी और ओबीसी के लिये आरक्षण की निर्धारित सीमा संविधान संशोधन के जरिये बढ़ाने की बात कही है। वहीं देश में किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि में न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी देने का वायदा किया गया। पार्टी ने दावा किया है कि जो हिंदुस्तान चाहता है वह कांग्रेस घोषणा पत्र में दिख जाएगा। इसमें शैक्षणिक संस्थानों व नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को दस फीसदी आरक्षण का भी वायदा है। वहीं केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में तीस लाख नौकरियों के रिक्त पदों को भरने की बात कही गई। साथ ही राजस्थान की तर्ज पर पूरे देश में पच्चीस लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा देने की बात कही गई। जैसे कि पहले भी राहुल गांधी कहते रहे हैं- देश में सामाजिक, आर्थिक और जातिगत सर्वे कराने की बात कही गई है। वहीं हाल में बार-बार सामने आए पेपर लीक मामले में कहा गया है कि यदि कांग्रेस सत्ता में आती है तो फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन के जरिये कार्रवाई करके पीड़ितों को आर्थिक राहत दी जाएगी। डिजिटल लर्निंग के महत्व को समझते हुए पार्टी ने कक्षा नौ से बारह तक के छात्रों को मोबाइल फोन दिलाने का वायदा किया है। दूसरी ओर 21 साल से कम उम्र के प्रतिभावान खिलाड़ियों को दस हजार रुपये प्रतिमाह की प्रोत्साहन राशि देने की बात कही है।
वहीं दूसरी ओर महिलाओं को लुभाने के लिये गरीब परिवार की महिलाओं को एक लाख रुपये हर साल व 2025 से केंद्र सरकार की आधी नौकरियां महिलाओं के लिये आरक्षित करने का वायदा भी है। पार्टी ने मनरेगा के तहत मजदूरी बढ़ाकर 400 रुपये प्रतिदिन करने के साथ ही चार सौ रुपये न्यूनतम राष्ट्रीय वेतन की गारंटी भी दी है। कई मुद्दों पर राजग सरकार के दौरान उठे विवाद के चलते कांग्रेस ने वायदा किया है कि पार्टी की सरकार बनी तो भोजन, पहनावे, प्यार, शादी और भारत के किसी भी हिस्से में यात्रा व निवास की व्यक्तिगत पसंद में हस्तक्षेप नहीं करेगी। साथ ही ऐसे कानूनों को रद्द करेगी। पार्टी ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की वैकेंसियां तीन साल में भरने, अग्निपथ योजना को खत्म करने और शिक्षा नीति में बदलाव लाने की भी बात कही है। पार्टी ने कहा कि यदि हम सत्ता में आए तो पहली से बारहवीं तक निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करेंगे। जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को बहाल करने के साथ ही पुडुचेरी को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे। कांग्रेस द्वारा चुनावी घोषणा पत्र जारी करने के बाद राजस्थान की एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि भाजपा जो कहती है, वो जरूर करती है, सिर्फ घोषणापत्र ही जारी नहीं करती। हम संकल्प पत्र लेकर आते हैं। वहीं भाजपा प्रवक्ता ने भी कहा कि महिलाओं के लिये जो लुभावनी और अन्य घोषणाएं की गई हैं, क्या उन्हें कांग्रेस शासित राज्यों में लागू किया गया था? बहरहाल, विगत में भी देखा गया है कि पार्टियां आसमान से तारे जमीन पर लाने की बात जरूर अपने घोषणापत्र में कर देती हैं,लेकिन वित्तीय संसाधन सीमित होने के कारण उनका क्रियान्वयन संभव नहीं हो पाता। यदि करने की कोशिश होती भी है तो आयकरदाता के टैक्स का उपयोग विकास कार्यों के बजाय अनुत्पादक कार्यों में होता है। यह विडंबना ही कि राजनीतिक दल लोगों को स्वावलंबी बनाने तथा स्थायी रोजगार उपलब्ध कराने के बजाय मुफ्त की रेवड़ियां बांटने को प्राथमिकता देते हैं। जो निश्चित रूप से देश के विकास की दृष्टि प्रगतिशील कदम नहीं कहा जा सकता।

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