भारतीय संस्कृ़ति की ललक
रतन चंद ‘रत्नेश’
विगत लगभग 23 वर्षों से सूरीनाम के भारतीयों से जुड़ी रहीं प्रो. पुष्पिता अवस्थी ने इस देश के साथ-साथ कभी डच उपनिवेश का देश रहे लातीन अमेरिका के ट्रिनीडाड, गयाना आदि में रह रहे भारतवंशियों के 150 वर्ष पूरे होने पर उनकी भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पण भाव को प्रतिपादित करने के लिए समीक्ष्य पुस्तक संपादित की है। इन देशों में रह रहे भारतीयों के बारे में लेखिका के समय-समय पर पत्र-पत्रिकाओं में लिखे लेखों को इस पुस्तक में संगृहीत किया गया है जो उनके अनुभव और अनुभूतियों पर आधारित हैं।
कुल 18 लेखों में इन देशों में बरकरार भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिक दृष्टिकोण व प्राकृतिक सौंदर्य तथा हिंदी के प्रति वहां का अगाध प्रेम झलकता है। ‘कैरेबियाई देशों में सूरीनाम देश ही एक ऐसा देश है जहां के लोग भारतीय संस्कृति और दर्शन में रसे-पगे हुए हैं। हिन्दुस्तानी मजदूर के रूप में आए हुए स्त्री-पुरुष अपने साथ धान, धर्म और अपनी लोकभाषा लेकर आए थे जो वहां के सामाजिक पर्यावरण से परिवेष्िटत होकर सरनामी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।’
इस प्रकार से इन लेखों के माध्यम से उन देशों के खान-पान, रहन-सहन, भाषा और संस्कृति की विस्तृत जानकारी मिलती है। इन प्रवासियों ने आज भी भारतीय भाषा, संस्कृति और परंपरा का वर्चस्व अक्षुण्ण बनाए रखा है, यह अपने आप में अद्वितीय और उत्साहवर्द्धक है। उल्लेखनीय है कि सूरनामी सभी भारतीय त्योहारों को हर्षोल्लास से मनाते आ रहे हैं। बिहार-उत्तर प्रदेश की तरह यहां होली फगुआ के रूप में मनाया जाता है।