महंगे किराये से यात्रियों की बढ़ती मुश्किलें
सतीश सिंह
हवाई यात्रियों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले से महंगी हवाई टिकट खरीद रहे यात्रियों को अब और भी ज्यादा महंगी दर पर हवाई टिकटें खरीदनी पड़ेंगी, क्योंकि एयर इंडिया एक्सप्रेस के 200 वरीय क्रू मेंबर्स बीमारी के कारण एक साथ अवकाश पर चले गये हैं, जिसके कारण 80 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ी है। एयर इंडिया एक्सप्रेस के पास 70 से अधिक विमान है और यह हर सप्ताह 2500 से अधिक उड़ानों का परिचालन करती है। रिपोर्ट के अनुसार केबिन क्रू कथित कुप्रबंधन, स्टाफ से भेदभावपूर्ण व्यवहार का विरोध कर रहे हैं। पायलटों की कमी की वजह से टाटा समूह की विमानन कंपनी विस्तारा ने पिछले महीने 110 उड़ाने रद्द की थीं और उसकी 160 उड़ानें लेट हुई थीं। जाहिर है, जब विमान की कमी होगी तो हवाई टिकट की कीमतों में भी इजाफा होगा।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के आंकड़ों के मुताबिक, यात्रियों की संख्या के हिसाब से भारत के विमानन क्षेत्र में इंडिगो एयरलाइन की 60.2 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, जबकि दूसरे स्थान पर एयर इंडिया है, जिसकी हिस्सेदारी 12.2 प्रतिशत है। विस्तारा की हिस्सेदारी 9.9 प्रतिशत है और एयर एशिया की हिस्सेदारी 6.1 प्रतिशत है। टाटा समूह के तहत उड़ान भरने वाली एयरलाइंस की कुल हिस्सेदारी 28.2 प्रतिशत है।
इधर, बाजार पूंजीकरण के आधार पर लंबी छलांग लगाते हुए इंडिगो जनवरी, 2024 में एयर चाइना एयरलाइन को और फरवरी, 2024 में सिंगापुर एयरलाइन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी एयरलाइन बन गई। विगत 6 महीनों में इंडिगो एयरलाइन के शेयर में 50 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है, जबकि पिछले एक साल में इसके शेयर ने निवेशकों को 102.55 फीसदी प्रतिफल दिया है।
इंडिगो का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एयरलाइन बनना इंडिगो और इसके शेयर होल्डर्स के लिए हर्ष का विषय है, लेकिन जरूरतमंद यात्रियों के लिए खुशी की बात नहीं, क्योंकि इंडिगो का एकाधिकार बढ़ने और दूसरी एयरलाइन का परिचालन लगातार अवरुद्ध रहने से हवाई टिकट बहुत महंगे हो गये हैं।
आज हवाई जहाज से यात्रा करने वाले यात्रियों में जरूरतमंदों की संख्या अधिक है। मौज-मस्ती के लिए यात्रा करने वालों के लिए एयर टिकट की कीमत मायने नहीं रखती, लेकिन किसी बीमार के इलाज के लिए सफ़र करने, नौकरी में योगदान देने, जरूरी मीटिंग में शामिल होने के लिए यात्रा करने वालों के लिए लगातार एयर टिकट की कीमत बढ़ना मुश्किल का सबब बन गया है। यात्रा वेबसाइट इक्सिगो के एक विश्लेषण के अनुसार, 1 से 7 मार्च की अवधि की तुलना में 1 से 7 अप्रैल तक कुछ हवाई मार्गों पर किराया 39 प्रतिशत तक बढ़ा है। इस अवधि में दिल्ली से बेंगलुरु उड़ानों के लिए एक तरफ का किराया 39 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जबकि दिल्ली से श्रीनगर किराये में 30 फीसदी बढ़ोतरी हुई।
देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी इंडिगो एयरलाइन के पास 320 से ज्यादा विमानों का बेड़ा है, जो हर दिन 1900 से ज्यादा फेरे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय शहरों में लगाते हैं। हालांकि, इंडिगो के दिसंबर, 2023 में 74 विमानों के बेड़े जमीन पर खड़े थे। वहीं, गो फर्स्ट, स्पाइसजेट, एयर इंडिया और विस्तारा के 90 विमान जमीन पर खड़े थे। जानकारों के अनुसार आगामी कुछ महीनों में 200 से अधिक विमान खड़े हो जायेंगे।
वर्ष 2024 में 150 नये विमानों को घरेलू उड़ान हेतु बेड़े में जोड़ा गया है, जो पिछले साल जोड़े गए नए विमानों से 34 प्रतिशत अधिक है। फिर भी, यह संख्या घरेलू मांगों को पूरा करने में असमर्थ है। घरेलू यात्रियों की संख्या में वर्ष-दर-वर्ष 24 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। वर्ष 2023 में घरेलू यात्रियों की कुल संख्या बढ़कर 15.2 करोड़ से अधिक हो गई है।
इस साल विमानन उद्योग मांग के अनुरूप क्षमता बढ़ाने में चुनौतियों से जूझ रहा है। यहां तक कि घरेलू मार्गों पर बड़े विमानों का उपयोग कर रहा है। बावजूद इसके, मांग और आपूर्ति में बड़ी खाई बनी है। इंडिगो को छोड़कर दूसरी एयरलाइंस की उड़ानें गाहे-बगाहे रद्द होने के कारण और यात्री मांग में मजबूती बने रहने से हवाई किराये में 20-25 प्रतिशत बढ़ोतरी पहले ही हो चुकी है।
गर्मियों में घरेलू उड़ानों के लिए यात्रियों को एयर टिकट के लिए अधिक भुगतान करना पड़ रहा है। पहाड़ों की ओर जाने वाली सभी एयरलाइंस के टिकटों की कीमत आसमान छू रही है। ग्रीष्म अवकाश के दौरान एयर टिकट की कीमत और भी बढ़नेे का अंदेशा है। हालांकि, डेढ़-दो साल पहले भारत में एयर टिकट की कीमत दुनिया में काफी सस्ती थी।
नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री के अनुसार, एयर टिकट की कीमत मांग और आपूर्ति के आधार पर तय होती है। वैसे, विमानन मंत्रालय के अधीन काम करने वाली संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने छुट्टियों और त्योहारों के दौरान एयर टिकट की कीमत में वृद्धि पर रोक लगाने पर जोर दिया है।
एयर टिकट की कीमत में कमी आने के आसार हाल-फिलहाल में कतई नहीं हैं, क्योंकि आज बड़ी संख्या में विमानों के जमीन पर खड़े रहने, केबिन क्रू के अवकाश पर जाने व अन्य विविध कारणों से पायलटों की कमी रहने और परिचालनगत समस्याओं की वजह से विमानों का परिचालन लगातार बाधित हो रहा है।