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मोनालिसा की मोहकता-सा आकर्षण है पेरिस में

07:47 AM Apr 19, 2024 IST
मोनालिसा की मोहकता सा आकर्षण है पेरिस में
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अमिताभ स.
फ्रांस की राजधानी पेरिस यूरोप के सबसे शानदार शहरों में से एक है। यह ‘रोशनी का शहर’ भी है, इसलिए ‘एन ईवनिंग इन पेरिस’ इसका जाना-पहचाना नाम बन गया है। हर नई- पुरानी इमारत लाइटों से जगमग रहती है। पेरिस सीन नदी के किनारे बसा है। सीन के साथ-साथ टहलना मजेदार तफरीह है। सीन पर रात के वक्त क्रूज की सैर मन मोह लेती है। बोट लाइटों से जगमगाती तमाम हेरिटेज इमारतों के सामने से गुजरती है और साथ- साथ ईयर फोन पर हरेक इमारत की दिलचस्प कहानियां-जानकारियां सुनाई जाती हैं। लूवरे म्यूजियम, नेशनल असेंबली, सिटी हॉल और एफिल टॉवर सभी बारी-बारी आंखों के सामने होते हैं।
सीन के एक किनारे पर 1049 फुट ऊंचा गगन छूता एफिल टॉवर तो पेरिस का लैंडमार्क ही है। इसे देखने हर साल लाखों सैलानी उमड़ते हैं। करीब-करीब सभी इसे बैकड्रॉप बना कर फोटो या सेल्फी खिंचवाते हैं। अनूठा तो है ही। फ्रांस के इंजीनियर गुस्ताव एफिल ने मार्च, 1889 में बनाया था और तब से आज तक मेटल की मीनार का एक भी पुर्जा या रिपट बदलने की जरूरत नहीं पड़ी। लिफ्ट और सीढ़ियों से इसकी दूसरी मंजिल तक चढ़ सकते हैं। मोना लिसा, लूवरे पिरमिड, नोटरे डेम कैथेड्रल, आर्क डी त्रिथोफे, शोन ऐलीसे और पेंशन समेत पेरिस की तमाम टूरिस्ट आकर्षक एफिल टॉवर से पैदल दूरी पर हैं।

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मोनालिसा का घर

यूरोपीय ठाठ-बाठ का नज़ारा पेरिस के चप्पे-चप्पे पर बखूबी दिखाई देता है। फैशन, परफ्यूम, जूलरी और अन्य लग्जरी साज-समान के लिए खासमखास जगह है। यह पेन्टिंग्स का बड़ा ठिकाना भी है। ‘लूवरे म्यूजियम’ नाम का दुनिया का सबसे बड़ा आर्ट म्यूजियम इसकी शान है। लूवरे में बेजोड़ पेंटिंग्स, कलाकृत्तियों और एंटीक्स की नुमाइश से रू-ब-रू होना चाहें, तो कम से कम 3 दिन चाहिए। सीधे और फटाफट विख्यात पेंटिंग मोना लिसा का ही दीदार करना चाहें, तो यहां- वहां हर ओर से पहुंचने के लिए संकेत लगे हैं। मोना लिसा को एक नज़र देखने के लिए रोज़ाना लोगों का हुजूम जुटता है। मोनालिसा ही नहीं, वीनस डी मिले, विगंड विक्टरी समेत मिस्र, ग्रीस और रोम तक के तमाम आर्टपीस और मास्टर पीस देखने का मौक़ा यहां के अलावा शायद ही कहीं और मिले।

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फैशनेबल स्ट्रीट, वर्ल्ड फेमस कैबरे

पेरिस की सबसे फैशनेबल स्ट्रीट शोन ऐलीसे क्या आलीशान है। इसी स्ट्रीट पर तमाम बड़े फैशन हाउस, दूतावास, फाइव स्टार होटल, हाई-फाई रेस्टोरेंट और फ्रांस के राष्ट्रपति का निवास भी है। साल 1840 से शोन ऐलीसे एवेन्यू पर विक्टरी परेड, राजकीय जुलूस वगैरह के भव्य आयोजन किए जाते हैं। यहीं स्टाइलिश गाउन और हेड वियर से सजी-धजी सुन्दरियों की जानी-मानी फैशन परेड होती है। दुनिया का सबसे फेमस नाइट क्लब ‘लीडो डी पेरिस’ भी पेरिस की इसी सबसे दिलकश स्ट्रीट के बीचोंबीच है। लीडो डी पेरिस की शुरुआत 1946 में हुई थी, और तब से अब तक यह एफिल टॉवर की तरह ही पेरिस का लैंडमार्क बना है।
शुरू-शुरू में, लीडो बैले डांस का रूप रहा और ऑडिटोरियम की सजावट वेनिस के समुद्री किनारे लीडो से मिलती-जुलती रही। आज यह महज़ उत्तेजक कैबरे नहीं, बल्कि जादुई, तड़क-भड़क और ग्लैमर की भरी-पूरी दुनिया है। क्वीन ऑफ लव, कसीनो, लेट द गेम बिगन, वर्ल्ड ऑफ एंटरटेनमेंट वगैरह एक से एक हर स्टेज शो हाई-फाई हैं। सुन्दरियों के पहने-पहनाए कपड़े डांस करते-करते बदल जाना जैसे जादुई करतबों से सजे लीडो देखे बगैर पेरिस का जलवा अधूरा ही समझिए।
पेरिस का कोना-कोना और भी तमाम आकर्षणों से भरा है। नेत्रहीनों की भाषा ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुई ब्रेल का स्मारक भी यहीं है। सेंट्रल पार्क के लक्जमबर्ग पैलेस की शान किसी से कम नहीं है। नोटरे-डेम कैथेड्रल फ्रांस की बड़ी चर्च है। यहां ईसा मसीह को पहनाया गया कांटों का मुकुट ‘ट्रू क्रॉस’ का एक हिस्सा सुरक्षित रखा है। हर साल गुड फ्राइडे को इसकी नुमाइश लगती है, बड़ा जलसा होता है। नजदीक ही दिल्ली के इंडिया गेट से मिलती-जुलती ऑर्क द ड्रियूम्फ नाम का हेरिटेज दरवाजा भी देखने लायक है। चलती सड़कों के बीचोंबीच है, बावजूद इसके घूमने आने वाले सेल्फी खींचने को बेक़ाबू हो उठते हैं।

हवा में तैरता है प्यार

पेरिस को ‘सिटी ऑफ लवर्स’ भी कहते हैं। क्योंकि रोमांस आबोहवा में तैरता है। गलियों- बाज़ारों में यहां-वहां प्यार करते जोड़े खूब दिखते हैं। दिलचस्प बात है कि 1960 के दशक में, पेरिस की रोमांटिक गलियों में ही क्रिकेटर नवाब पटौदी ने ‘एन ईवनिंग इन पेरिस’ की हीरोइन शर्मिला टैगोर को निकाह की पेशकश की थी, जो परवान भी चढ़ी।
स्ट्रीट फूड के ठिकाने और रेस्टोरेंट कम नहीं हैं। फ्रेंच फ्राइज़ और फ्रेंच टोस्ट का जन्म यहीं हुआ बताते हैं। फ्रेंच फ्राइज आलू के जरा लम्बे और एक जैसे चिप्स हैं। नमक वाले सादे ही नहीं, हॉट गार्लिक, सालसा, चीज, चॉकलेट वगैरह कई किस्म के फ्रेंच फ्राइज सर्व किए जाते हैं। फ़्रेंच टोस्ट दूध या अंडों में डुबो कर बनाते हैं। रेस्टोरेंट्स दोपहर 2 बजे तक लंच और रात साढ़े 9 बजे तक डिनर सर्व करते हैं। सारे यूरोप की तरह बेकरी आइटम खाने के शौकीन यहां भी हैं।
फ्रेंच भाषा का बोलबाला है। फ्रेंच न समझ- बोल सकने वालों को ज़रा परेशानी होती है क्योंकि अंग्रेजी से ज्यादा फ्रेंच बोली जाती है। पार्किंग की दिक्कत के चलते लोग अपनी कार की बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट में आते-जाते हैं। टैक्सी महंगी है, लेकिन मेट्रो और सब अर्बन रेल लाइन मिला-जुला कर आ-जा सकते हैं।
मेट्रो, रेलवे स्टेशंस और भीड़भाड़ वाले इलाकों में जेब कतरे अपने किसी हिंदुस्तानी शहर की तरह ही हैं। इस लिहाज से, बाकी यूरोपीय शहरों के मुकाबले इसे ज्यादा सुरक्षित शहर नहीं कह सकते। जगह-जगह लेडीज को अपने पर्स सम्भालने और जेब कतरों से आगाह किया जाता है। चेटलेट स्टेशन की भीड़भाड़ तो दिल्ली के राजीव चौक मेट्रो स्टेशन को मात देती है। यहां 3 ट्रेनें व 5 मेट्रो लाइंस एक साथ मिलती हैं, और प्रवेश-निकास के 12 गेट हैं।

नजदीक ही है डिज्नीलैंड

पेरिस से महज 45 मिनट की ट्रेन दूरी पर है बच्चों की अपनी मनोरंजक दुनिया डिज्नीलैंड। हर 15 मिनट में, ट्रेन पेरिस से डिज्नी आती- जाती है। पूरा माहौल ही फुल मौज-मस्ती-मज़े पर टिका है। हर ओर हंसी-खुशी और एक से एक झूलों की रौनकें हैं कि बच्चा-बड़ा हर कोई घंटों खो जाए। एक के साथ दूसरा और दूसरे के साथ तीसरा थीम पार्क जुड़ा है। बड़े-छोटे सभी की दिलचस्पी के बेशुमार खेल-तमाशे हैं। फेंटेसी लैंड में बचपन के सपनों को सच होते देख सकते हैं, तो एनकाउंटर जोन में, दूसरे लोक में उतरे एलिंस से मुलाकात कर सकते हैं।
हर दोपहर साढ़े 3 बजे मिक्की माउस समेत डिज्नी कार्टून करेक्टरों की झूमती-गाती परेड बड़ी अट्रेक्शन होती है। फिर रात 8 बजते-बजते रंग-बिरंगी आतिशबाजी दंग कर देती है।

नौ घंटे की उड़ान

  • उड़ान से दिल्ली से पेरिस पहुंचने में करीब पौने 9 घंटे लगते हैं।
  • समय के लिहाज से, पेरिस दिल्ली से करीब साढ़े 4 घंटे पीछे है।
  • करेंसी यूरो है। आजकल एक यूरो करीब 93 रुपये का है।
  • फ्रांस घूमने-फिरने के लिए अप्रैल से अगस्त बेस्ट महीने हैं, क्योंकि बाकी महीने कड़ाके की ठंड पड़ती है।
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