पन्नू केस भारत सरकार, डोभाल को समन
अजय बनर्जी/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 19 सितंबर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से ठीक दो दिन पहले एक बड़ा विवाद पैदा हो गया है। खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा दायर दीवानी मुकदमे में न्यूयॉर्क की एक अदालत ने भारत सरकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल एवं अन्य को समन जारी किया। भारत के विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह ‘पूरी तरह से अनुचित और बेबुनियाद आरोपों’ पर आधारित है। गौर हो कि प्रधानमंत्री मोदी 21 से 23 सितंबर के बीच अमेरिका दौरे पर रहेंगे।
इस मुद्दे पर पूछे जाने पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, ‘जैसा कि हमने पहले कहा, ये पूरी तरह से निराधार आरोप हैं। इसके चलते हमारे विचार नहीं बदलते।’ मिस्री ने कहा, ‘मैं आपका ध्यान केस के पीछे के व्यक्ति (पन्नू) की ओर आकर्षित करना चाहता हूं, जिसका इतिहास सर्वविदित है।’ प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि पन्नू के प्रतिनिधित्व वाला संगठन गैरकानूनी है, जिसे गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (1967) के तहत अवैध घोषित किया गया। भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने के उद्देश्य से राष्ट्र-विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में इसकी संलिप्तता के कारण इसे प्रतिबंधित किया गया।’
पन्नू के केस में कोर्ट ने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख सामंत गोयल और रॉ के ही विक्रम यादव और भारतीय व्यवसायी निखिल गुप्ता को भी आरोपी बनाया है। नवंबर 2023 में, अमेरिकी अभियोजकों ने गुप्ता पर अमेरिका में पन्नू सहित चार सिख अलगाववादियों की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया। गुप्ता ने अमेरिकी अदालत में कहा कि वह निर्दोष हैं। आरोप है कि गुप्ता ने पन्नू की हत्या के लिए एक हत्यारे को एक लाख डॉलर (लगभग 80 लाख रुपये) नकद दिए थे।
अमेरिका का आरोप है कि गुप्ता को कथित तौर पर एक भारतीय सरकारी अधिकारी ने निर्देश दिया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने खालिस्तान आंदोलन से जुड़े होने के कारण पन्नू और एसएफजे को आतंकवादी घोषित किया है। अतीत में व्हाइट हाउस ने वरिष्ठ स्तर पर भारत के साथ कथित हत्या की साजिश को उठाया था। भारत के अधिकारियों ने खुद को साजिश से दूर करते हुए कहा कि ऐसी कार्रवाई सरकारी नीति के खिलाफ है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले साल दिसंबर में राज्यसभा में कहा कि जांच शुरू कर दी गई है।
आतंक के खिलाफ भारतीय प्रणाली को एफएटीएफ ने सराहा
नयी दिल्ली (एजेंसी) : वैश्विक धन शोधन एवं आतंकवाद के वित्तपोषण निरोधक निकाय एफएटीएफ ने आतंक के खिलाफ भारत की प्रणाली की सराहना की है। अपनी बहुप्रतीक्षित पारस्परिक मूल्यांकन रिपोर्ट में एफएटीएफ ने कहा कि देश की प्रणालियां ‘प्रभावी’ हैं, हालांकि इसने ‘बड़े सुधारों’ की जरूरत पर बल दिया। पेरिस मुख्यालय वाली संस्था द्वारा 368 पृष्ठों की यह रिपोर्ट जून में आयोजित पूर्ण बैठक में मूल्यांकन को अपनाए जाने के बाद जारी की गई। रिपोर्ट में कहा गया, ‘भारत में धन शोधन का मुख्य स्रोत देश के भीतर की अवैध गतिविधियों से उत्पन्न होता है। देश को विभिन्न प्रकार के आतंकवादी खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें सबसे प्रमुख खतरा आईएसआईएस या अलकायदा से जुड़े समूहों से है, जो जम्मू-कश्मीर तथा उसके आसपास सक्रिय हैं।