मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

पानीपत समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट : 18 साल बीतने पर भी 15 मृतक अज्ञात, कब्र पर लगे नंबर ही इनकी पहचान

04:00 AM Feb 18, 2025 IST
पानीपत के गांव महराना का कब्रिस्तान जहां बम बलास्ट में मरे लोगों को दफनाया गया। -हप्र
बिजेंद्र सिंह/हप्रपानीपत,17 फरवरी

Advertisement

पानीपत में गांव सिवाह के पास दिल्ली से लाहौर जा रही समझौता एक्सप्रेस ट्रेन की दो बोगियों में हुए बम ब्लास्ट को आज 18 साल हो गए हैं। 18 फरवरी 2007 की रात को 11 बजकर 53 मिनट पर हुए बम धमाके में 68 लोगों की जिंदा जलने से मौत हो गई थी और 12 लोग घायल हुए थे। मरने वालो में 16 बच्चे व 4 रेलवे के कर्मचारी भी शामिल थे। मृतकों में ज्यादातर पाकिस्तान के नागरिक शामिल थे। हादसे में मारे गए लोगों में से 53 की पहचान हो पाई जबकि 15 लोग अभी भी ऐसे हैं, जिनकी पहचान नहीं हो पाई है। इस बम धमाके ने भारत और पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया था। ट्रेन की दो बोगियों में जिंदा जल रहे यात्रियों में मची चीख-पुकार अभी भी लोगों की रुह कंपा देती है। ट्रेन में आग लगने पर सिवाह के ग्रामीण ही सबसे पहले लोगों की मदद करने के लिये पहुंचे थे।

दीवाना स्टेशन के पास हुआ था धमाका

दो बोगियों में आग लगने पर समझौता एक्सप्रेस दीवाना स्टेशन से पानीपत शहर की तरफ बिल्कुल गांव सिवाह के सामने रूकी थी। ट्रेन में हुए ब्लास्ट से मरने वाले 68 लोगों में से उस समय 23 यात्रियों की पहचान नहीं हो पाई थी। हादसे में मरे 29 लोगों के शवों को पानीपत के गांव महराना के कब्रिस्तान में दफनाया गया था। इनमें शिनाख्त होने वाले 6 लोगों को तो 23 फरवरी 2007 को और शिनाख्त नहीं होने पर 24 फरवरी को 23 लोगों को दफनाया गया। इनमें से चार की पहचान बाद में हो गई थी। जबकि 4 लोगों की पहचान बाद में डीएनए से हुई थी।

Advertisement

पहले पाकिस्तान से आकर देते थे श्रद्धांजलि

हादसे में मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिलवाने में मदद करने वाले एडवोकेट मोमिन मलिक के अनुसार 15 लोग अभी भी ऐसे है, जिनकी पहचान नहीं हो पाई है। महराना के कब्रिस्तान में दफनाये गये मृतकों की कब्रों पर नंबर लगाये गये है और जिन लोगों की अभी तक भी पहचान नहीं हो पाई है, उनको अब कब्र पर लगे नंबर से ही जाना जाता है। इस कब्रिस्तान में करीब एक दशक तक पाकिस्तान से मृतकों के परिजन यहां पर 18 फरवरी को आकर श्रद्धांजलि देते रहे है लेकिन समय के साथ उन्होंने भी वहां से यहां पर आना बंद कर दिया है।

लालू यादव ने की थी 10 लाख देने की घोषणा, अभी तक नहीं मिले

समझौता एक्सप्रेस में बम ब्लास्ट होने पर गांव सिवाह के ग्रामीणों ने ही राहत कार्य व घायल हुए लोगों की जान बचाने में सबसे ज्यादा मदद की थी। हादसे के बाद तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव यहां पर आये थे तो उन्होंने सिवाह में कम्यूनिटी सेंटर बनाने के लिये 10 लाख रूपये देने की घोषणा की थी लेकिन वे रूपये आज तक भी नहीं मिले है। हालांकि सिवाह के तीन लोगों तत्कालीन सरपंच सुबेदार कर्ण सिंह, सतनारायण नंबरदार व पंडित अंत राम उर्फ अंतु को उस समय रोहतक के कमीश्नर ने प्रशंसा-पत्र देकर सम्मानित किया था। वहीं पंच जयदीप कादियान ने बताया कि गांव सिवाह के ग्रामीणों को जैसे ही पता चला गांव के अधिकतर लोग रात को मदद के लिये दौड़ पड़े थे।

मस्जिद समिति के प्रधान ने की सोलर लाइटें लगवाने की मांग

नुरआनी मस्जिद के प्रधान हाजी शकूर अहमद ने बताया कि यहां पर कब्रिस्तान में 29 शव दफन हैं। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित अनेकों मंत्री और सीनियर प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी यहां कब्रिस्तान में आये थे और मस्जिद प्रांगण में कई सुविधाएं देने का आश्वासन दिया गया था। उन्होंने सरकार व प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि कब्रों वाले स्थान पर कब्र के एरिया को छोडकर बाकि जगह को इंटरलाकिंग टाइलों से पक्का करवाना चाहिये। मस्जिद के प्रांगण में दो-तीन स्थानों पर सोलर लाइटें लगाई जानी चाहिए।

 

Advertisement