Panchang 18 january 2025: क्या होती है शनि की साढ़ेसाती, जानिए इसके प्रभाव, चरण और उपाय
चंडीगढ़, 18 जनवरी (ट्रिन्यू)
Panchang 18 january 2025: शनि ग्रह को न्याय और कर्मफल का देवता माना जाता है। ज्योतिष ज्योतिषशास्त्र में इसका विशेष महत्व है। शनि की साढ़ेसाती का नाम सुनते ही लोगों के मन में भय और चिंता का भाव उत्पन्न हो जाता है।
ज्योतिर्विद अनिल शास्त्री के मुताबिक यह काल व्यक्ति के जीवन पर लंबे समय तक प्रभाव डालता है, क्योंकि शनि ग्रह अपनी धीमी गति के कारण किसी राशि में ढाई वर्षों तक रहते हैं। साढ़ेसाती के दौरान शनि का प्रभाव 7.5 साल तक रहता है, जो व्यक्ति के जीवन में तीन चरणों में गुजरता है।
साढ़ेसाती के चरण
पहला चरण
यह तब शुरू होता है जब शनि ग्रह जन्म राशि से पहले वाली राशि में प्रवेश करते हैं। इस समय व्यक्ति के जीवन में मानसिक तनाव, धन हानि और अनिश्चितताओं का दौर आ सकता है। इसे शुरुआती साढ़ेसाती कहा जाता है।
दूसरा चरण
शनि का जन्म राशि में प्रवेश करना साढ़ेसाती का दूसरा चरण होता है। इसे चरम काल कहा जाता है। इस समय व्यक्ति को सबसे अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह चरण अक्सर जीवन के कठिनतम अनुभवों का कारण बनता है।
तीसरा चरण
जब शनि जन्म राशि से अगली राशि में प्रवेश करता है, तो यह साढ़ेसाती का अंतिम चरण होता है। इसे उतरती हुई साढ़ेसाती कहते हैं। इस दौरान जीवन में धीरे-धीरे स्थिरता आने लगती है और समस्याओं का समाधान मिलने लगता है।
साढ़ेसाती के प्रभाव
शनि की साढ़ेसाती का असर व्यक्ति के कर्म और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। इसे केवल नकारात्मक नहीं देखा जाना चाहिए। शनि अच्छे कर्मों पर व्यक्ति को दीर्घकालिक सफलता और स्थायित्व भी प्रदान करता है।
साढ़ेसाती के उपाय
1. हर शनिवार स्नान के बाद जल में काले तिल मिलाकर पीपल के पेड़ पर अर्घ्य दें। शनि चालीसा और शनि स्रोत का पाठ करें।
2. गंगाजल, काले तिल और बेलपत्र से भगवान शिव का अभिषेक करें। यह उपाय साढ़ेसाती के प्रभाव को कम करता है।
3. मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें। यह शनि के कष्टों को कम करता है।
4. लोहे, सरसों के तेल, चमड़े के जूते, लकड़ी की वस्तुएं, और तिल का दान करें।
Panchang 18 january 2025: पंचांग: 18 जनवरी 2025 (शनिवार)
राष्ट्रीय मिति पौष 28, शक संवत 1946, माघ कृष्ण, पंचमी
विक्रम संवत 2081
सौर माघ मास प्रविष्टे 05
अंग्रेजी तारीख 18 जनवरी 2025 ई॰
सूर्य स्थिति उत्तरायण, दक्षिण गोल, शिशिर ऋतु
राहुकाल प्रातः 09:00 से 10:30
विजय मुहूर्त दोपहर 02:24 से 03:07
निशिथ काल रात्रि 12:11 से 01:04
गोधूलि बेला शाम 05:55 से 06:22
तिथि पंचमी (सूर्योदय से अगले दिन प्रातः 07:31 तक) उपरांत षष्ठी आरंभ
नक्षत्र पूर्वाफाल्गुनी (अपराह्न 02:52 तक) उपरांत उत्तराफाल्गुनी
योग शोभन (अर्धरात्रोत्तर 01:16 तक) उपरांत अतिगण्ड
करण कौलव (सायं 06:31 तक) उपरांत तैतिल
चंद्रमा और राशि परिवर्तन
चंद्र स्थिति रात्रि 09:29 तक सिंह, उपरांत कन्या राशि पर संचार
डिस्कलेमर: यह लेख धार्मिक आस्था व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribuneonline.com इसकी पुष्टि नहीं करता। जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।