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पाक की पहली महिला मुख्यमंत्री मरियम नवाज

08:04 AM Mar 01, 2024 IST
पाक की पहली महिला मुख्यमंत्री मरियम नवाज
चर्चा में चेहरा
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अरुण नैथानी

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पाकिस्तान के किसी भी प्रांत में मुख्यमंत्री बनने वाली मरियम नवाज पहली महिला हैं। वे इसी माह हुए चुनाव में पाक संसद के लिये चुनी गई थीं। उन्हें पाकिस्तान में बेहद विवादित महिला राजनेता के रूप में जाना जाता है। पिछले दिनों पर्दे के पीछे से सेना के गहरे दखल के बीच पाकिस्तान में लोकतंत्र का प्रहसन पूरी दुनिया ने देखा। उसके बाद अब राजनीतिक वंशवाद की फसल लहलहा रही है। राजनीति के चतुर खिलाड़ी नवाज शरीफ ने सत्ता के लिये शतरंज की बिसात बिछाई तो मुल्क की बागडोर थामने के लिये थी, लेकिन जनाक्रोश ने तस्वीर बदल दी। जेल के भीतर से भी पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान खेला करने में कामयाब हो गए। तमाम चुनावी धांधलियों के बावजूद राजनीतिक हालात ऐसे बन गए कि नवाज चाहकर भी प्रधानमंत्री न बन सके। फिर उन्होंने जोड़तोड़ करके सत्ता की बागडोर भाई के जरिये हासिल करने की कोशिश की। साथ ही अपने राजनीतिक गढ़ पंजाब के मुख्यमंत्री रहे शहबाज शरीफ के केंद्रीय सत्ता में आने के बाद वहां की राजनीति पर भी वर्चस्व बनाये रखना मकसद था। फलत: बड़ी बेटी मरियम को पंजाब सूबे की कमान सौंप दी गई है। पाकिस्तान तहरीके-इंसाफ के मुखर विरोध और बहिष्कार के बीच मरियम नवाज को पंजाब प्रांत का मुख्यमंत्री चुन लिया गया है।
यूं तो मरियम नवाज को राजनीति विरासत में मिली है, लेकिन काफी अर्से तक वे पिता व चाचा के साथ राजनीतिक अभियानों में हिस्सेदार रही हैं। पिता के राजनीतिक अभियानों से पहले दूर रहने वाली मरियम तब सुर्खियों में आई जब उनके पिता का तख्ता पूर्व सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ ने पलटा था। वर्ष 1999 के दौरान जनरल मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को कैद में डाल दिया था। तब मरियम अपनी मां के साथ पिता को रिहा कराने के लिये सड़कों पर उतरीं। उन्होंने जनरल मुशर्रफ की सैन्य तानाशाही के खिलाफ जनमत बनाने का प्रयास किया। दरअसल, सैन्य तानाशाह ने शरीफ परिवार के सभी पुरुषों को या तो गिरफ्तार कर लिया था या फिर वे नजरबंद थे। फिर कूटनीतिक प्रयासों से मामले में सऊदी अरब की एंट्री हुई। सऊदी शासक की मदद से नवाज शरीफ व परिवार को अभयदान दिलाया गया। एक समझौते के बाद शरीफ परिवार सऊदी अरब में निर्वासित जीवन जीने लायक बना।
राजनीतिक पंडित बताते हैं कि निर्वासन के दौरान मरियम ने राजनीति का ककहरा सीखा और खुद को पाक के चुनौतीपूर्ण हालात के लिये तैयार करने का प्रयास किया। कालांतर में वर्ष 2007 में शरीफ परिवार की वापसी हो सकी। वैसे मरियम की राजनीतिक सक्रियता की पारी चाचा शहबाज के चुनाव अभियानों में शिरकत करने के साथ शुरू हुई। उन्होंने महिला वोटरों को रिझाने के लिये विभिन्न अभियानों में भाग लिया। एक महिला होने के नाते उन्हें भावनात्मक रूप से जोड़ने का प्रयास किया। पढ़ी-लिखी मरियम ने बदलते वक्त के साथ सोशल मीडिया के महत्व को समझा और पार्टी के लिये इस अभियान में गहरी पकड़ बनायी। दरअसल, इमरान खान की पार्टी पीटीआई की लगातार युवाओं में बढ़ती लोकप्रियता का मुकाबला करने के लिये मरियम ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। फिर वे पिता द्वारा स्थापित पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन के सोशल मीडिया सेल को मजबूत करने में सूत्रधार बनी, लेकिन सक्रिय राजनीति में नहीं रही। इस साल हुए विवादित चुनावों में वे नेशनल असेंबली के लिये पहली बार चुनी गईं।
नवाज शरीफ की सबसे बड़ी संतान मरियम नवाज लंबे समय तक चुपचाप अपने दो बच्चों की परवरिश में लगी रही हैं। यूं तो शरीफ परिवार अपनी रुढ़िवादी परंपराओं के लिये जाना जाता है। ऐसे में बेटी के राजनीति में आने की संभावना को लोग कम ही देखते थे। लेकिन राजनीतिक हालात और नवाज व सेना के बीच जारी टकराव ने मरियम के सक्रिय राजनीति में आने के हालात बना दिये। उनका विवाह एक सैनिक अधिकारी से हुआ है। उनके पति नब्बे के दशक में नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री काल में एडीसी थे। यूं तो मरियम का आकर्षक व्यक्तित्व पाकिस्तानी अवाम को प्रभावित करता रहा है, लेकिन उनकी गिनती पाकिस्तान के खासे विवादित लोगों में होती है। वे मुखर हैं और अच्छी वक्ता हैं। उनकी पार्टी के लोग मुश्किल वक्त में संगठन का नेतृत्व करने के लिये उनकी प्रशंसा करते हैं। तो दूसरी ओर विपक्षी राजनीतिक दल वंशवाद की उपज मरियम को लेकर लगातार आक्रामक रहे हैं। उनका मानना है कि वह शरीफ परिवार के भ्रष्टाचार की पोषक हैं।
पाकिस्तान में पिता की राजनीति को संबल देने में लगी मरियम यूं तो सक्रिय राजनीति में नहीं रही, लेकिन जब नवाज तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो उन्हें युवा विकास कार्यक्रम का सर्वेसर्वा बनाया गया। लेकिन उनकी नियुक्ति को लेकर विपक्ष ने खासा हंगामा किया और मामले के अदालत जाने पर मरियम को पद छोड़ना पड़ा। वे रणनीतिक रूप से सोशल मीडिया अभियानों का संचालन करती रहीं। लेकिन नवाज की तीसरी पारी के दौरान उनके दखल को लेकर आलोचना हुई। आरोप लगा कि वह सुपर प्रधानमंत्री के रूप में काम करती रही हैं। उन्हें भ्रष्ट वंशवादी राजनीतिक विरासत वाहक बताया गया। कालांतर में पनामा पेपर्स लीक मामले में उनका नाम भी सामने आया, जिसमें विदेशी कंपनियों के साथ आर्थिक भागेदारी का मामला भी उछला। उनकी विदेशों में संपत्ति को लेकर भी चर्चा हुई। बाद में सेना के संरक्षण में बढ़ते राजनीतिक विरोध व अदालती कार्रवाई के बीच नवाज को सत्ताच्युत कर दिया गया। तब नवाज के साथ मरियम भी जेल गईं। इस जेल यात्रा से उनका राजनीतिक कद जरूर बढ़ा। वह इमरान सरकार पर हमलावर हुईं। नवाज शरीफ की अनुपस्थिति में उन्होंने पीएमएल-एन कार्यकर्ताओं को एकजुट किया और 2018 के आम चुनावों में दूसरी बड़ी पार्टी बनी। फिलहाल पीएमएल-एन में वे दूसरी सबसे ताकतवर नेता के रूप में उभरी हैं।

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