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ज़ाकिर के जरिये खेल करने की ताक में पाक

06:59 AM Oct 12, 2024 IST
पुष्परंजन

आप एक टिकट में दो पिक्चर देखिये। मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम 3 अक्तूबर, 2024 को पाकिस्तान पहुंचे, और इसके ठीक तीन दिन पहले, 30 सितम्बर को इंडिया का मोस्ट वांटेड ज़ाकिर नाइक राजकीय अतिथि के रूप में पंद्रह दिनों के वास्ते पाकिस्तान आता है और पीएम शाहबाज शरीफ से मिलता है। अनवर इब्राहिम और शाहबाज़ शरीफ ने जो साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की, उसमें ज़ाकिर नाइक का ज़िक्र नहीं था। बल्कि इसका अहद किया गया कि मांस, चावल और पाम ऑयल के आयात सहित व्यापार और कृषि प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ेगा, और दोनों देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), डिजिटल और सेमीकंडक्टर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के माध्यम से कुशल श्रमिक क्षेत्र में भी उभयपक्षीय सहयोग करेंगे।
अगस्त, 2024 के तीसरे हफ्ते मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर बिन इब्राहिम तीन दिवसीय भारत दौरे पर भी आये थे। मोदी-इब्राहिम मुलाक़ात का मुख्य फोकस व्यापार और निवेश का विस्तार करना और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में सहयोग तलाशना था। लेकिन, ज़ाकिर नाइक की पूरी नज़र थी कि भारत उसके प्रत्यर्पण की मांग न कर दे। उस अवसर पर उग्रवाद को कैसे काबू करें, उसपर दोनों नेताओं ने चिंता व्यक्त की थी, लेकिन प्रत्यक्ष रूप से ज़ाकिर नाइक के प्रत्यर्पण का सवाल तब भी उठा नहीं था।
ज़ाकिर नाइक पाकिस्तान क्यों, और किसलिए आया है, यह बीच बहस नहीं है। इधर भारत में भी अख़बारों, सत्ता को सलाम करने वाले चैनलों में यह केवल छोटी सी ख़बर बनकर रह गई है। लेकिन खेल बड़ा है, जिसे समझने में समय लग सकता है। पाकिस्तान को ज़ाकिर नाइक की ज़रूरत क्यों आन पड़ी? और क्या ज़ाकिर नाइक अब अपना ठिकाना शिफ्ट करने वाला है? दो बड़े सवाल हैं।
ज़ाकिर नाइक अपने बेटे शेख़ फ़रीक़ नाइक के साथ पाकिस्तान आया हुआ है। डॉ. नाइक का स्वागत प्रधानमंत्री के युवा कार्यक्रम के अध्यक्ष राणा मशहूद ने एयरपोर्ट पर किया था। ज़ाकिर नाइक कराची में ज्ञान बांट चुका। 12-13 अक्तूबर को लाहौर में, और इस्लामाबाद में 19-20 अक्तूबर को प्रवचन देगा। ज़ाकिर नाइक ने शुक्रवार को कराची में पत्ते खोले कि सितम्बर, 2019 के आखिरी सप्ताह पीएम मोदी का एक दूत पुत्रजया आया, और प्रस्ताव दिया कि यदि मैं 370 खारिज किये जाने का समर्थन करूंगा, तो भारत आने के वास्ते ‘सेफ पैसेज’ दिया जायेगा।
ढाका आतंकी हमले के बाद, 10 जुलाई 2016 को बांग्लादेश में पीस टीवी बैन कर दिया गया। 21 अप्रैल, 2019 को श्रीलंका में ईस्टर बम धमाकों के लिए ज़िम्मेदार समूह नेशनल तौहीद जमात के नेता ज़हरान हाशिम ने ज़ाकिर नाइक की प्रशंसा करते हुए श्रीलंकाई मुसलमानों से पूछा था, कि वे उनके लिए क्या कर सकते हैं। लगभग 260 लोगों की जान लेने वाले आतंकी हमलों के बाद, श्रीलंका ने भी जाकिर नाइक के पीस टीवी के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया। ‘हेट क्रिमिनल’ ज़ाकिर नाइक के पीस टीवी चैनल पर भारत, कनाडा, बांग्लादेश, श्रीलंका और ब्रिटेन में प्रतिबंध है। लेकिन बांग्लादेश से ताज़ा अपडेट है कि वहां का शासन, ‘पीस टीवी’ के प्रसारण को दोबारा से चालू करने पर विचार कर रहा है। जून, 2009 से पाकिस्तान में ‘पीस टीवी उर्दू’ लोग देख रहे हैं। ज़ाकिर नायक के चाहने वाले बांग्लादेश में माहौल बनायें, इस वास्ते दोबारा कोशिशें वाया पाकिस्तान शुरू हो गई हैं।
इस बार भारत-पाकिस्तान के बीच कूटनीति के दरवाज़े ‘खुल जा सिमसिम’ हो रहे हैं। मरियम नवाज़ ने बुधवार को कहा था, ‘दोनों पंजाब में पराली जलाने की समस्या है, भारत-पाक को अब पर्यावरण कूटनीति की ज़रूरत है।’ ज़ाकिर नाइक को इंडिया अच्छा लगने लगा है। पाक एयरपोर्ट पर उतरते उसे भारतीय एयरलाइंस की याद आई जो अतिरिक्त सामान के पैसे माफ़ कर दिया करता था। 15-16 अक्तूबर को शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन की बैठक के वास्ते एस जयशंकर यदि पाकिस्तान में होते हैं, मोस्ट वांटेड ज़ाकिर नाइक का प्रत्यर्पण क्या करा पाएंगे? यह प्रश्न शायद उन्हें असहज करे। दरअसल, ज़ाकिर नाइक डिप्लोमेसी की रहस्यमय बिसात का वैसा मोहरा है, जिसे ज़रूरत के हिसाब से रखा-लुढ़काया जाता है।
मलेशिया में शरिया और सरकार के बीच द्वंद्व का माहौल है। मलेशिया, सलाफ़ीवादियों या वहाबियों के क़ब्ज़े में 1980 से ही है। इनके संरक्षक सऊदी, यमनी और कुवैती हैं। 2018 में महाथिर मोहम्मद आये भी सलाफियों के समर्थन से। मलेशिया में मुफ़्ती असरी ज़ैनल आबिदीन के प्रभाव के कारण सलाफ़ीवाद ताक़तवर बना है, जिसे राजशाही, स्थानीय राजनेताओं, मस्जिद नेटवर्क और विवादास्पद उपदेशक ज़ाकिर नाइक सरीखे विदेशी संरक्षकों से समर्थन मिलता है।
मलेशिया, कठमुल्लों को कैसे काबू करे, यह मौजूदा सरकार के लिए भी बड़ी चुनौती बन चुकी है। लेकिन इसका बीजारोपण सत्ताधारियों का ही किया हुआ है। जब ज़ाकिर नायक को 2016 में भारत से मलेशिया पलायन करना पड़ा, उस समय मोहम्मद नजीब अब्दुल रज्जाक सत्ता में थे। 2018 में महाथिर मोहम्मद जब सत्ता में आये, भारत के विरोध के बावजूद उन्होंने ज़ाकिर नाइक को परमानेंट रेजिडेंट का दर्जा दे दिया। पुत्रजया के जिस मस्जिद में ज़ाकिर नाइक नमाज़ पढ़ाते, वहां हर जुमे को प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद जाते। महाथिर मोहम्मद के बाद मुहईद्दीन मोहम्मद यासीन, इस्माइल साबरी याकूब, और अनवर इब्राहिम प्रकारांतर से सत्ता में आये, और ज़ाकिर नाइक ने उन्हें भी अपने आईने में उतार लिया।
नाइक पर नस्लीय और धार्मिक घृणा भड़काने का आरोप लगाया गया था, जब उसने कहा था कि मलेशियाई हिंदू नरेंद्र मोदी के प्रति अधिक वफादार हैं। तब कई सांसदों ने मांग की, कि ज़ाकिर नाइक को देश से निकाल दिया जाए। मलेशियाई पुलिस ने जाकिर नाइक के धार्मिक उपदेशों पर कई बार प्रतिबन्ध लगाये, लेकिन फिर उसे हटा लिया जाता है। मगर, क्या डॉ. ज़ाकिर नाइक एक वैकल्पिक व्यवस्था ढूंढ़ने के वास्ते पाकिस्तान गया है? यह सवाल अभी ज़ेरे बहस नहीं है, लेकिन देर-सवेर इस पर बात होगी ही।
ख़ैर, इस समय ज़ाकिर नाइक की हेट स्पीच पाकिस्तान में महंगाई, ग़रीबी, बेरोज़गारी से ध्यान हटाने में कामयाब हो रही है। संभव है शाहबाज़ शरीफ इस ‘धार्मिक मिसाइल’ को अपनी सियासत के लिए इस्तेमाल करें। इस्लाम के हवाले से हेट गुरु ज़ाकिर नाइक ने टटका बयान दिया, ‘जिन लड़कियों के पास शादी के लिए कोई ऑप्शन नहीं है, मेरे विचार से दो ऑप्शन हैं उनके लिए। पहला ऑप्शन यह है, कि वो ऐसे मर्द से शादी करे, जिसकी बीवी ऑलरेडी है। दूसरा ऑप्शन यह है कि वो ‘बाज़ारी औरत’ बन जाये। मैं इंग्लिश में इसे बोलता हूं, ‘पब्लिक प्रॉपर्टी’। इससे बढ़िया शब्द नहीं है। अब आप कल्पना कीजिये, ज़ाकिर नाइक जैसा जाहिल, और ज़हरीला ‘मेहमान’ पंद्रह दिनों में पाकिस्तान की सोच को कितना गंदा कर चुका होगा। यह दुखद और शर्मनाक है!

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लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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