Padm Shree Award 2025 : गुहला के हरविंदर सिंह ने दिखाया हौसलों में जान हो तो दिव्यांगता भी सफलता के रास्ते नहीं रोक सकती
गुहला चीका, 28 जनवरी, जीत सिंह सैनी / निस
Padm Shree Award 2025 : उपमंडल गुहला के गांव अजीत नगर के तीरंदाज हरविंदर सिंह का पद्मश्री के लिए चयन होने पर पूरे गुहला क्षेत्र में खुशी का माहौल है। हरविंदर सिंह का हौसला, लगन और मेहनत युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गई है। पद्मश्री के लिए चयन होने के बाद दैनिक ट्रिब्यून से विशेष बातचीत में हरविंदर ने बताया कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और देश के लिए कुछ करने का जनून हर समय जिंदा रखा।
हरविंदर सिंह ने बताया कि पद्मश्री पुरस्कार मिलना किसी भी व्यक्ति के लिए गौरव की बात होती है, मेरा नाम भी पद्मश्री के लिए चुना गया है तो यह मेरे लिए बहुत ही खुशी के पल है। पद्मश्री के लिए चुने जाने पर उनके कोच जीवनजोत सिंह तेजा व गौरव शर्मा ने उन्हें मिठाई खिलाकर शुभकामनाएं दी हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी उन्हें शुभकामनाएं दी हैं।
चुनौतियों से नहीं मानी हार, खेत को बना दिया था तीरंदाजी रेंज
हरविंदर के लिए इस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं रहा। उन्होंने चुनौतियों से कभी भी हार नहीं मानी और परेशानियों का डटकर सामना किया। उनकी कहानी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। हरविंदर सिंह का जन्म 25 फरवरी 1991 को जिला कैथल के उपमंडल गुहला के गांव अजीत नगर के किसान परमजीत सिंह के घर हुआ था।
हरविंदर जब डेड़ साल के थे तो उन्हें डेंगू हो गया था और इसके उपचार के लिए उन्हें इंजेक्शन लगाए गए थे। दुर्भाग्य से इंजेक्शन के कुप्रभावों से उनके पैरों की गतिशीलता चली गई। हरविंदर को शुरुआत में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन पटियाला यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान उनका रुख तीरंदाजी की तरफ हो गया और फिर उन्होंने तीरंदाजी में ही कैरियर बनाने का फैसला कर लिया।
साल 2017 पैरा तीरंदाजी विश्व चैंपियनशिप में डेब्यू में सातवें स्थान पर रहे। साल 2018 में जकार्ता एशियाई पैरा खेलों में हरविंदर सिंह स्वर्ण पदक जीता। कोविड 19 महामारी के दौरान सब कुछ ठप्प पड़ गया। हरविंदर सिंह के सामने भी प्रेक्टिस करने की समस्या आन खड़ी हुई। लॉक डाउन में बेटे की प्रेक्टिस प्रभावित ना हो इसके लिए पिता परमजीत सिंह ने अपने खेत को तीरंदाजी रेंज में बदल दिया था।
हरविंदर ने बताया कि हम फसल काट चुके थे और खेत खाली थे तो मेरे पिता ने वहां तीरंदाजी रेंज तैयार करने में मदद की। इस तरह से उस मुश्किल घड़ी में सुरक्षित रहते हुए अभ्यास कर सका। तीरंदाजी में सफलता के साथ वह अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री भी कर रहे हैं। अप्रैल 2024 में विश्व तीरंदाजी ओशिनिया 2024 पैरा ग्रैंड प्रिक्स में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में कांस्य पदक जीता था। जून 2024 में पैरा तीरंदाजी विश्व रैंकिंग स्पर्धा में उन्होंने चेक गणराज्य में कांस्य पदक जीता था।
ये हैं हरविंदर सिंह की उपलब्धियां
हरविद्र सिंह वे तीरंदाज हैं, जिन्होंने रोहतक में 2016 में हुई पहली पैरा आर्चरी नेशनल प्रतियोगिता में कांस्य पदक, तेलंगाना में 2017 में दूसरी पैरा आर्चरी नेशनल प्रतियोगिता में रजत पदक, 2018 में इंडोनेशिया में हुई एशियन पैरा गेम्स में भारत के लिए रिकर्व इवेंट में स्वर्ण पदक हासिल किया था। वह छह बार देश का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। एशियन पैरा चैंपियनशिप 2019 में कांस्य पदक, जून 2019 में नीदरलैंड में आयोजित विश्व पैरा आर्चरी चैंपियनशिप में पैरालंपिक 2020 के लिए कोटा हासिल किया था।
इसके बाद 2020 पैरालंपिक में ब्रॉन्ज मैडल जीता। इसके अलावा बीजिंग में 2017 में हुई विश्व पैरा आर्चरी में सातवां स्थान। थाईलैंड में 2019 में हुई तीसरी एशियन पैरा आर्चरी के टीम इवेंट में ब्रांज मेडल। रोहतक में 2019 में तीसरी पैरा आर्चरी नेशनल प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल हासिल किया था।
पेरिस पैरालंपिक 2024 में 4 सितंबर को मेन्स इंडिविजुअल रिकर्व ओपन के फाइनल में 33 वर्षीय हरविंदर ने पोलैंड के लुकाज सिजेक को पराजित कर स्वर्ण पदक जीत पूरे विश्व को भारत की तीरंदाजी का लोहा मनवाया था। उन्होंने फाइनल में पोलैंड के लुकाज सिजेक को 6.0 से हराया था। हरविंदर सिंह 1 फरवरी से बैंकाक में होने वाले एशिया कप के लिए सोनीपत आर्चरी रेंज में पसीना बहा रहे हैं।