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जीवन का नज़रिया

06:36 AM Nov 04, 2024 IST
जीवन का नज़रिया
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आदि शंकराचार्य अनूठी प्रतिभा संपन्न आध्यात्मिक विभूति थे। उन्होंने उपनिषदों का भाष्य किया और अनेक प्रेरणादायक पुस्तकों की रचना की। देशभर में भ्रमण कर वे अपने उपदेशों से लोगों को जीवन सफल बनाने की प्रेरणा दिया करते थे। हिमालय यात्रा के दौरान एक निराश गृहस्थ ने उनसे कहा, ‘सांसारिक दुखों के कारण मैं आत्महत्या कर लेना चाहता हूं।’ शंकराचार्य ने कहा, ‘यह मानव जीवन असीम पुण्यों के कारण मिलता है। निराश होने के बजाय केवल अपनी दृष्टि बदल दो, दुःख व निराशा से मुक्ति मिल जाएगी।’ उन्होंने आगे बताया, ‘कामनाएं अशांति का मुख्य कारण हैं। कामनाओं को छोड़ते ही अधिकांश समस्याएं स्वतः हल हो जाएंगी। धर्मानुसार संयमित व सात्विक जीवन बिताने वाला कभी दुखी नहीं हो सकता। ‘साधनपंचकम‌् में उन्होंने लिखा भी है, ‘सहनशीलता और शांति ऐसे गुण हैं, जो अनेक दुखों से दूर रखते हैं। इसके साथ ही गर्व व अहंकार का सदा परित्याग करना चाहिए। धन से कई बातों का भले ही समाधान होता है, किंतु उससे शांति की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।’ उन्होंने कहा है कि काल किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। इसलिए वृद्धावस्था में जीने की आशा रखना, भगवत भजन में मन न लगाना, सांसारिक प्रपंचों में फंसे रहना मूढ़ता का ही परिचायक है। ज्ञानी और विवेकी वह है, जो भगवान की भक्ति में लगा रहता है।

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प्रस्तुति : अक्षिता तिवारी

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