सिंधु जल संधि पर हमारी भूमिका सिर्फ सुविधा-प्रदाता की : बंगा
नयी दिल्ली, 9 मई (एजेंसी)
विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने कहा है कि बहुपक्षीय एजेंसी की भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि में सुविधा प्रदान करने के अतिरिक्त कोई भूमिका नहीं है। सिंधु, झेलम और चिनाब के जल बंटवारे के लिए 1960 में दोनों देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
भारत ने पहलगाम में आतंकवादी हमले में 26 भारतीयों की हत्या के बाद दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा के हवाले से सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘हमारी भूमिका केवल एक सुविधा-प्रदाता की है। मीडिया में इस बारे में बहुत अटकलें लगाई जा रही हैं कि विश्व बैंक किस तरह से इस समस्या को हल करेगा, लेकिन यह सब बेबुनियाद है।’
विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई सिंधु जल संधि के तहत 1960 से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के बंटवारे एवं इस्तेमाल को नियंत्रित किया गया है। सिंधु नदी प्रणाली में मुख्य नदी सिंधु और उसकी सहायक नदियां शामिल हैं। रावी, ब्यास, सतलुज, झेलम और चिनाब इसकी सहायक नदियां हैं। वहीं काबुल नदी भारतीय क्षेत्र से होकर नहीं बहती है। स्वतंत्रता के समय भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा सिंधु बेसिन से होकर गुजरती थी, जिससे भारत ऊपरी तटवर्ती देश और पाकिस्तान निचला तटवर्ती देश बन गया।
‘जमीन बेचने से नहीं उन्नत खेती से किसान बनेंगे समृद्ध’
विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने कहा कि किसान जमीन बेचकर अमीर नहीं बन सकते, बल्कि उन्हें समृद्ध बनने के लिए उन्नत खेती के लिए प्रोत्साहित करना होगा। बंगा शुक्रवार को अपनी टीम के साथ यहां पहुंचे, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। इस दौरान बंगा ने राज्य में हो रहे विकास कार्यों और मुख्यमंत्री के नेतृत्व की जमकर सराहना की। बंगा ने कहा ,‘ऐसा लग रहा है कि मानो मैं घर वापस आ गया हूं। यूपी में मेरा ससुराल है और 12 साल बाद यहां आकर हर क्षेत्र में बदलाव देख रहा हूं। सीएम योगी में दृष्टिकोण, दृढ़ता और ऊर्जा है।’ छोटे किसान ही उत्तर प्रदेश का सोना हैं।