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Organ Donation : सैनिक के बेटे का बलिदान, एक बहादुर फौजी की आत्मा ने बचाईं 5 जिंदगी

06:59 PM Feb 17, 2025 IST
Team of surgeons and supporting staff led by Maj Gen Matthews Jacob, VSM, Commandant, Command Hospital, Chandimandir and Prof Ashish Sharma, Head, Renal Transplant Surgery, PGIMER, Chandigarh

चंडीमंदिर, 17 फरवरी

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Organ Donation : हमेशा एक सैनिक अपने कर्तव्यों के लिए तत्पर रहता है, लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि एक सैनिक का बेटा अपनी जिंदगी देकर दूसरों की जिंदगी बचा जाता है? यह सचमुच एक प्रेरक और दिल छूने वाली कहानी है।

18 वर्षीय अर्जीदिप, जो एक भारतीय सैनिक के बेटे थे, ने अपने बलिदान से न केवल अपने परिवार को गर्व महसूस करवाया बल्कि पांच जरूरतमंद लोगों की जिंदगी भी बचाई। अर्जीदिप का निधन 8 फरवरी को एक सड़क हादसे में हुआ था, जब एक सड़क दुर्घटना में उसकी बाइक को टक्कर मारी गई। गंभीर चोटों के बाद, उसे कमान्ड हॉस्पिटल, वेस्टर्न कमांड, चंडीमंदिर में भर्ती किया गया। डॉक्टरों ने आठ दिन तक उसकी जान बचाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन अंत में 15 फरवरी को उसे ब्रेन स्टेम डेथ घोषित कर दिया।

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Arshdeep, 18 yr, Organ donor

इस भयानक दुःख के बावजूद अर्जीदिप के पिता, जो भारतीय सेना में एक सशस्त्र बल के सिपाही हैं, ने एक साहसिक निर्णय लिया। उन्होंने अपने बेटे के अंगों का दान करने का निर्णय लिया, ताकि दूसरों को जीवन मिल सके। अर्जीदिप की स्वीकृति से पांच लोगों को नई जिंदगी मिली। उसके गुर्दे और पैंक्रियास को PGIMER, चंडीगढ़ भेजा गया, जहां उनका ट्रांसप्लांट किया गया। उसकी जिगर और एक गुर्दा आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रिफरल, दिल्ली भेजे गए जबकि उसकी कॉर्नियाज को CHWC के आई बैंक में संरक्षित किया गया, जिससे दो दृष्टिहीन व्यक्तियों को अपनी नजरें वापिस मिल गईं।

इस साहसिक निर्णय पर Maj Gen Matthews Jacob, VSM, कमांडेंट, CHWC ने कहा, "अर्जीदिप का बलिदान केवल उसका नहीं था, बल्कि उसकी पूरी परिवार की कहानी है, जो इस दुख में भी दूसरों के लिए जीने का एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। उनका यह निर्णय मानवता की सबसे बड़ी मिसाल है।"

Prof. Vipin Koushal, नोडल ऑफिसर, ROTTO PGIMER ने कहा, "यह अद्वितीय उदाहरण हमें अंगदान के महत्व को समझाता है। अर्जीदिप ने न केवल अपनी जान दी, बल्कि पांच लोगों को नया जीवन दिया। हमें इस मिसाल को सभी जगह फैलाना चाहिए ताकि और लोग अंगदान के लिए संकल्प लें।"

अर्जीदिप के पिता ने भावुक होकर कहा, "मेरे बेटे की मौत ने हमें दुख तो दिया, लेकिन उसका बलिदान हमें यह सिखाता है कि वह अब भी हमारे साथ है। उसकी आत्मा उन पांच लोगों में जीवित है, जिन्हें उसने बचाया।"

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