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Organ Donation कांगड़ा का नवनीत बना तीन परिवारों की उम्मीद, अब दिल्ली के युवक में धड़क रहा दिल

07:25 PM Jul 12, 2025 IST

विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

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चंडीगढ़, 13 जुलाई 
कभी इंजीनियर बनने का सपना देखने वाला नवनीत सिंह अब तीन जिंदगियों की उम्मीद बन गया है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले के गांव गंगथ निवासी 23 वर्षीय नवनीत, एक दुर्घटना में घायल होने के बाद ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। लेकिन इस सबसे मुश्किल घड़ी में उसके पिता जनक सिंह ने जो फैसला लिया, उसने न सिर्फ नवनीत की साँसों को ज़िंदा रखा, बल्कि तीन बेहद गंभीर मरीजों को जीवनदान दे दिया।

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3 जुलाई को नवनीत एक दुर्घटना में छत से गिर गया था। परिजन उसे गंभीर हालत में पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ लाए, जहां 11 जुलाई को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। डॉक्टरी प्रयासों के बावजूद जब नवनीत को नहीं बचाया जा सका, तो पीजीआई की ट्रांसप्लांट टीम ने परिवार से अंगदान की संवेदनशील बातचीत की।

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“कठिन था, लेकिन सही लगा” – पिता जनक सिंह

नवनीत के पिता जनक सिंह ने कहा, “यह हमारे जीवन का सबसे कठिन फैसला था, लेकिन यह जानकर कुछ सुकून है कि हमारे बेटे की साँसों ने तीन और ज़िंदगियों को मौका दिया है।” इस फैसले में मां अंजू, बहन पूजा देवी और दादी सत्य देवी ने भी मौन लेकिन दृढ़ समर्थन दिया।

 दिल पहुंचा दिल्ली, नई धड़कन के साथ

नवनीत का हृदय रोटो-नॉर्थ और नॉट्टो के समन्वय से दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक 26 वर्षीय मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया। चूंकि पीजीआई में उस वक्त दिल का कोई उपयुक्त मरीज नहीं था, इसलिए यह तय किया गया कि हृदय दिल्ली भेजा जाएगा।

‘ग्रीन कॉरिडोर’ से बचाई गई जान

दिल्ली तक दिल को सुरक्षित और समय पर पहुँचाने के लिए चंडीगढ़ से मोहाली एयरपोर्ट तक एक ‘ग्रीन कॉरिडोर’ बनाया गया। चंडीगढ़ पुलिस, मोहाली पुलिस, सीआईएसएफ और एयरपोर्ट प्रबंधन के सहयोग से हृदय सुबह 5:45 बजे की इंडिगो फ्लाइट से दिल्ली रवाना किया गया। प्रो. विपिन कौशल (मेडिकल सुपरिटेंडेंट, पीजीआई और रोटो नॉर्थ के नोडल अधिकारी) ने कहा, “हर मिनट कीमती था, और सभी एजेंसियों की साझेदारी से यह जीवनदायिनी मिशन पूरा हो सका।”

PGI में दो मरीजों को मिला जीवनदान

पीजीआईएमईआर में नवनीत की दोनों किडनी और पैंक्रियाज़ सफलतापूर्वक निकाले गए। इनमें से एक मरीज को किडनी और पैंक्रियाज़ का संयुक्त प्रत्यारोपण किया गया जिससे वह टाइप-1 डायबिटीज से मुक्त हो सका। यह पीजीआई का 63वां पैंक्रियाज़ ट्रांसप्लांट था, जो देश में सबसे अधिक है। दूसरी किडनी एक ऐसे मरीज को दी गई जो वर्षों से डायलिसिस पर था और जीवन की आशा लगभग छोड़ चुका था।

“मानवता की पराकाष्ठा” – प्रो. विवेक लाल

पीजीआई के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने कहा, “यह निर्णय एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे एक परिवार अपनी सबसे बड़ी पीड़ा को किसी और की सबसे बड़ी उम्मीद बना सकता है। हम नवनीत के परिजनों को नमन करते हैं।” डॉ. आशीष शर्मा के नेतृत्व में रीनल ट्रांसप्लांट यूनिट की टीम ने इस जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

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