For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

‘भोजशाला’ के वैज्ञानिक सर्वेक्षण का विरोध

06:46 AM Jul 16, 2024 IST
‘भोजशाला’ के वैज्ञानिक सर्वेक्षण का विरोध
Advertisement

नयी दिल्ली, 15 जुलाई (एजेंसी)
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश के धार जिले में मध्ययुगीन ‘भोजशाला’ के ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ के खिलाफ याचिका सूचीबद्ध करने पर विचार करने को लेकर सोमवार को सहमति जताई है। भोजशाला पर हिंदू और मुसलमान दोनों अपना दावा करते हैं।
‘मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी’ ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसमें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 11 मार्च के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पूजा स्थल का ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ करने का आदेश दिया गया था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह किस समुदाय का है। न्यायालय ने अपने 11 मार्च के आदेश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को छह सप्ताह के भीतर सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था। जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने हिंदू याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन की इन दलीलों का संज्ञान लेने के बाद मामले को सूचीबद्ध करने पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की कि एएसआई ने पहले ही अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है। सात अप्रैल, 2003 को एएसआई द्वारा तैयार की गई व्यवस्था के तहत हिंदू भोजशाला परिसर में मंगलवार को पूजा करते हैं, जबकि मुस्लिम शुक्रवार को परिसर में नमाज अदा करते हैं। शीर्ष अदालत ने एक अप्रैल को एएसआई द्वारा संरक्षित 11वीं सदी की धरोहर (भोजशाला) के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हिंदू ‘भोजशाला’ को वाग्देवी (देवी सरस्वती) को समर्पित मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे ‘कमाल मौला’ मस्जिद कहते हैं। शीर्ष अदालत ने याचिका पर जवाब मांगते हुए कहा था कि विवादित सर्वेक्षण के नतीजों पर उसकी अनुमति के बिना कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। पीठ ने कहा था, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि कोई भी भौतिक खुदाई नहीं की जानी चाहिए, जिससे संबंधित परिसर का चरित्र बदल जाए।’

धन विधेयक : याचिकाओं के लिए पीठ गठन पर होगा विचार


नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आधार सहित विभिन्न विधेयकों को मोदी सरकार द्वारा धन विधेयक के रूप में पारित कराने की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए एक संविधान पीठ के गठन के सुझाव पर विचार करने को लेकर सोमवार को सहमति व्यक्त की। याचिकाकर्ताओं का मानना है कि ऐसा कथित तौर पर राज्यसभा को दरकिनार करने के लिए किया गया था, क्योंकि वहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अल्पमत में थी। राज्यसभा में राजग को बहुमत नहीं होने के कारण स्पष्टतया उसे दरकिनार करने के लिए आधार विधेयक और धनशोधन निरोधक संशोधन विधेयक जैसे विधेयकों को धन विधेयक के रूप में पारित कराना प्रमुख राजनीतिक एवं कानूनी विवाद रहा है।

Advertisement

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×