शव सम्मान विधेयक पर विपक्ष ने उठाए सवाल, नहीं हुआ पास
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 26 फरवरी
हरियाणा सरकार द्वारा सोमवार को विधानसभा में पेश किया गया ‘हरियाणा शव सम्मानजनक निपटान विधेयक’ कांग्रेस के विरोध के चलते पास नहीं हो पाया। राजस्थान में यह कानून पहले से लागू है। प्रदेश में शव को सड़कों पर रखकर धरना प्रदर्शन करने के मामलों पर रोक लगाने के लिए मनोहर सरकार भी सख्त कानून बनाना चाह रही है। विरोध के चलते सोमवार को होल्ड हुये इस विधेयक को संशोधन के बाद मंगलवार या बुधवार को फिर से पेश किया जा सकता है।
अपील का प्रावधान नहीं होने पर जतायी आपत्ति
गृह मंत्री अनिल विज की ओर से यह विधेयक रखा गया था। इस विधेयक में इस तरह के मामलों में अपील का कोई प्रावधान नहीं होने पर कांग्रेस ने नाराज़गी जताई। इसके बाद सरकार ने इसे रोक लिया। सदन में यह बिल पेश होते ही कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज करवाई। उन्होंने कहा कि परिवार के किसी सदस्य की मौत हो जाती है तो उसके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार सम्मान के साथ होना चाहिए। परंतु अगर उनकी कोई सुनवाई नहीं करेगा तो वह क्या करेंगे। विधेयक में यह सुनिश्चित होना चाहिए कि ऐसे मामलों की सुनवाई भी हो।
बतरा ने कहा- अपील का मौका मिलना चाहिए
वहीं रोहतक विधायक भारत भूषण बतरा ने भी कहा कि अपील का एक मौका जरूर मिलना चाहिए। जब कहीं कोई सुनवाई न हो तो मजबूरी में पीड़ित लोग शव के साथ प्रदर्शन करते हैं। नए कानून में अपील-दलील की कोई व्यवस्था नहीं होने से उनका अधिकार ही छिन जाएगा। इसी तरह असंध विधायक शमशेर सिंह गोगी, गोहाना जगबीर मलिक और झज्जर गीता भुक्कल ने बिल की खामियां गिनाते हुए इसे लोगों के अधिकारों का हनन बताया।
वहीं दूसरी ओर, विपक्ष द्वारा इसे मुद्दा बनाए जाने पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा, राजस्थान में कांग्रेस सरकार के दौरान ही इस तरह का विधेयक पारित हो चुका है। अब हरियाणा में कांग्रेस को यह कानून बनाने से परहेज क्यों है। सवाल दागते हुए सीएम ने कहा कि शव को सड़कों पर रखकर शासन-प्रशासन पर दबाव बनाना और अपनी मांगों को मनवाना किस तरह से सही है। कांग्रेसियों ने इसके बाद भी विरोध जारी रखा तो विज ने कहा कि इस पर विचार करके फिर विधेयक पर चर्चा की जाएगी।
पांच साल तक की सजा का है प्रावधान
शव को लेकर सड़क पर धरना देने और प्रदर्शन करने पर परिजनों और रिश्तेदारों को छह माह से लेकर पांच साल तक की जेल और एक लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति शव का सही तरीके से अंतिम संस्कार नहीं करता है तो उसे 3 साल से लेकर 10 साल तक की सजा हो सकती है। एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगेगा। इतना ही नहीं, उकसाने वालों को भी सजा हो सकती है। इसमें यह भी स्पष्ट किया है, अगर परिजनों द्वारा ठोस कारण बताया जाता है तो शव के अंतिम संस्कार के समय को 24 घंटे तक के लिए भी बढ़ाया जा सकता है। लेकिन इसके लिए कार्यकारी मजिस्ट्रेट से मंजूरी लेनी होगी।
12 घंटे में संस्कार अनिवार्य
विधेयक में सम्मान के साथ शव का संस्कार 12 घंटों के भीतर करना अनिवार्य किया है। अगर किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों ने शव की बेकद्री की तो संबंधित क्षेत्र के थानेदार द्वारा शव को कब्जे में लेकर ड्यूटी मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में उसका अंतिम संस्कार किया जाएगा।