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Operation Sindoor अमेरिका ने दोहराया भरोसा : आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़ा है वाशिंगटन

10:31 AM Jun 07, 2025 IST
operation sindoor अमेरिका ने दोहराया भरोसा   आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़ा है वाशिंगटन
कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने सीनेट होमलैंड सुरक्षा समिति के सदस्य अमेरिकी सीनेटर एंडी किम से मुलाकात की और वाशिंगटन डीसी में हाल ही में हुए पहलगाम आतंकवादी हमले के बारे में जानकारी दी। (X@IndianEmbassyUS via PTI)
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वाशिंगटन, 7 जून (एजेंसी)

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Operation Sindoor भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को शुक्रवार को उस समय नई धार मिली जब भारतीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी उप विदेश मंत्री क्रिस्टोफर लैंडाउ से मुलाकात कर पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर की विस्तृत जानकारी साझा की। यह संवाद न केवल दोनों देशों के बीच विश्वास की पुष्टि करता है, बल्कि वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ साझा रणनीति का संकेत भी देता है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने लैंडाउ को बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी और इसके जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया।

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आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक नीति में तालमेल बढ़ाएंगे : लैंडाउ

लैंडाउ ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मजबूती से खड़ा है। यह साझेदारी केवल रणनीतिक नहीं, बल्कि मूल्य-आधारित है।”

इस मुलाकात में व्यापार, तकनीक और सुरक्षा जैसे विषयों पर भी चर्चा हुई। लैंडाउ ने संकेत दिया कि अमेरिका भारत के साथ मिलकर आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक नीति में तालमेल बढ़ाना चाहता है।

अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति के सदस्यों—क्रिस वान होलेन और कोरी बुकर—से भी प्रतिनिधिमंडल ने संवाद किया। सीनेटरों ने न सिर्फ भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को उचित ठहराया, बल्कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर चिंता भी जताई।

आतंकवाद का हर स्वरूप अब जवाब पायेगा : थरूर

थरूर ने कहा, “भारत अब सिर्फ घटनाओं की जानकारी साझा नहीं कर रहा, बल्कि यह स्पष्ट कर रहा है कि आतंकवाद का हर स्वरूप अब जवाब पायेगा — और भारत की कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय समर्थन से मजबूत होगी।”

प्रतिनिधिमंडल में भाजपा, शिवसेना, झामुमो, टीडीपी जैसे दलों के सांसदों के साथ अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत संधू भी शामिल थे। यह पहल एक राजनीतिक सहमति का प्रतीक रही जिसमें दलों से ऊपर उठकर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई।

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