अपार पर्यटन संभावनाओं के खुलते द्वार
प्रदीप सरदाना
भारत यूं तो शताब्दियों से पर्यटकों का आकर्षण रहा है। कभी किसी को यहां विश्व की सबसे प्राचीन नगरी काशी देखने की लालसा रही तो कभी ताजमहल देखने की। कभी कश्मीर की सुंदर वादियों ने लोगों को लुभाया। कभी कोणार्क सूर्य मंदिर, खजुराहो, तो कभी अजंता एलोरा की गुफाओं ने।
असल में भारत में देश-विदेश के पर्यटकों के लिए इतनी विविधता है कि लगभग सभी को अपना पसंदीदा पर्यटक स्थल यहां मिलता रहा है। विश्व के कई देशों से भारत आए मेगस्थनीज़, फाहियान, ह्वेनसांग, अल बेरुनी, मार्को पोलो और इब्न बतूता जैसे यात्री प्राचीन भारत की विरासत, ऐतिहासिक धरोहर, कला, संस्कृति, प्रकृति, धार्मिक स्थलों और वास्तुकला आदि से सदा आकर्षित होते रहे हैं।
हालांकि अपार क्षमताओं के बावजूद विश्व मानचित्र पर भारत पर्यटन में अपनी बड़ी जगह नहीं बना पा रहा था। इसके लिए कमजोर बुनियादी ढांचा और सुरक्षा की कमी के साथ कुछ सख्त नियम भी बाधक बनते रहे। लेकिन पिछले कुछ बरसों में देश के बुनियादी ढांचे में हुए तेज विकास और 50 नए पर्यटन केंद्र विकसित होने से परिस्थितियां तेजी से बदली हैं।
पिछले बरसों में बुनियादी ढांचे में बड़े निवेश से भारत की तस्वीर बदल गयी है। इससे भारत में अभी तो पर्यटन उद्योग बढ़ा तो है ही। साथ ही आने वाले समय में जल्द ही भारत विश्व पर्यटन में अपनी बड़ी जगह दर्ज कर सकता है।
यह भी कि अब राजधानी दिल्ली सहित देशभर में इतने नए आकर्षक स्थल बन गए हैं, जो विश्व में सबसे बड़े और अनूठे हैं। दिल्ली के प्रगति मैदान में ही 123 एकड़ में 2700 करोड़ रुपये की राशि से बना ‘भारत मंडपम्’ विश्व का खूबसूरत और विशाल सम्मेलन केंद्र कहा जा सकता है। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के ओपेरा हाउस की विश्व में धूम थी। लेकिन भव्य, आधुनिक और विशाल ‘भारत मंडपम्’ ने सभी को आकर्षित किया है।
पिछले दिनों जी-20 सम्मेलन का आयोजन दिल्ली में हुआ तो यहां पहुंचे विश्व के लगभग सभी राष्ट्राध्यक्ष इसको देख अभिभूत हुए होंगे।
ऐसे ही दिल्ली के द्वारका में नवनिर्मित ‘यशोभूमि’ विश्व का सबसे बड़ा सभागार है। यशोभूमि के प्रथम चरण का हाल ही में उद्घाटन किया गया। कुल 8.9 लाख वर्ग मीटर की इस परियोजना में अभी 1.8 लाख वर्ग मीटर के शुरू हुए हिस्से में ही विशाल और प्रदर्शनी दीर्घा की भव्यता देखते ही बनती है।
यहां जो अभी एक सभागार आरंभ हुआ है, उसकी क्षमता 6 हज़ार है। जिसकी सुविधाएं तो बेहतरीन हैं। इस सभागार की कुर्सियों और मंच को अपनी उपयोगिता और सुविधा से दस प्रकार से तैयार किया जा सकता है। साथ ही सभागार को दो हिस्सों में विभाजित करके एक साथ दो आयोजन किए जा सकते हैं। दिलचस्प यह है कि हवाई अड्डा निकट होने के कारण इस सभागार के ऊपर से थोड़ी-थोड़ी देर में फ्लाइट निकलती रहती है। लेकिन सभागार में उसकी भनक तक नहीं पड़ती।
हमारे देश में सामान्य पर्यटन, धार्मिक पर्यटन, ऐतिहासिक पर्यटन के बाद चिकित्सा पर्यटन की शुरुआत तो कुछ समय पहले ही हो चुकी है। लेकिन भारत मंडपम् और यशोभूमि देश में सम्मेलन पर्यटन की बड़ी शुरुआत कर सकते हैं। जिससे विश्व भर के लोग भारत में सम्मेलन आयोजित करने के लिए आएंगे। साथ ही घरेलू स्तर पर भी अभी जो बड़े आयोजन किसी खुले स्टेडियम या ग्राउंड में होते थे, यहां किये जा सकते हैं। अब फिल्मफेयर जैसे राष्ट्रीय पुरस्कारों के बड़े समारोह ही नहीं, विश्व के कई बड़े समारोह भारत में आयोजित होने लगेंगे। उधर हाल ही के बरसों में विश्व कीर्तिमान बनाने वाले कुछ भारतीय स्थलों ने भी भारतीय पर्यटन में क्रान्ति कर दी है। जिनमें सर्वाधिक चर्चित गुजरात का ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ है। सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची विश्व की इस सबसे बड़ी प्रतिमा ने, विश्व में न्यूयॉर्क स्थित ‘स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी’ को बहुत पीछे छोड़ दिया है। इसके प्रवेश शुल्क से ही एक बरस में 82 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हो गया।
इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में दुनिया का सबसे ऊंचा चिनाब रेलवे पुल, राजमार्ग पर 10 हज़ार फुट की विश्व की सबसे लंबी अटल सुरंग, विश्व का सबसे बड़ा खेल स्टेडियम, एशिया का दूसरा सबसे लंबा रेल-सड़क बोगीपुल और भारत का सबसे लंबा भूपेन हजारिका सेतु कुछ ऐसे प्रमुख नए निर्माण हैं जिन्हें देखने की चाह सभी को है। ऐसे ही भारत में आध्यात्मिक-धार्मिक पर्यटन भी नए क्षितिज छूने के लिए तैयार है। बुद्ध, कृष्ण और राम सर्किट बनने से विश्व भर के कृष्ण और बुद्ध भक्त तो देश में अब ज्यादा आ ही रहे हैं। हाल ही में केदारनाथ, विश्वनाथ, महाकाल और सोमनाथ मंदिरों के अनूठे कायापलट से घरेलू पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ी ही है, विदेशी पर्यटक भी इस ओर बहुत आ रहे हैं। वहीं आगामी जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद नज़ारे और ही होंगे।
उधर अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के साथ पूर्वोत्तर के राज्य भी पर्यटकों की बड़ी पसंद बन चुके हैं। अब यहां पर्यटकों की संख्या तीव्रता से बढ़ रही है। भारत के पर्यटन में क्रान्ति लाने में देश में हजारों किलोमीटर की नई शानदार सड़कों और सेतुओं के साथ 74 नए हवाई अड्डों और चंद दिनों में ही 34 ‘वंदे भारत’ जैसी आधुनिक रेलों के चलन की भी अहम भूमिका है।
अब यदि ‘अतिथि देवोभवः’ संकल्प का देश के सभी राज्यों में पूरी तरह पालन हो और देश में नए प्रशिक्षित गाइड्स की भी पर्याप्त व्यवस्था हो तो आगामी दो बरसों में भारत पर्यटन में एक नया अध्याय जोड़ सकता है।