नवंबर-2025 तक रेवाड़ी एम्स में शुरू हो जाएगी ओपीडी
08:03 AM Feb 23, 2024 IST
चिरंजीव राव ने कहा कि 2015 में मुख्यमंत्री ने रेवाड़ी में एम्स स्थापित करने का ऐलान किया था। बाद में उन्होंने कहा कि घोषणा करने में जल्दबाजी हो गई। लोगों ने जब एम्स के लिए 127 दिनों तक धरना दिया तो फरवरी-2019 में केंद्रीय कैबिनेट में रेवाड़ी में एम्स को मंजूरी दी गई। इसके बाद भी इसका नींव पत्थर रखने में पांच साल गुजार दिए।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट में देशभर में बन रहे एम्स के लिए 6000 हजार करोड़ रुपये का बजट तय किया है। इस हिसाब से हरियाणा एम्स के लिए 300 करोड़ के लगभग ही मिल पाएंगे। इस पैसे से कैसे एम्स बन पाएगा। विज ने कहा, यह मोदी की गारंटी है। बजट की कोई कमी नहीं है।
विज ने कहा कि पहले मनेठी में एम्स स्थापित होना था। मनेठी की जमीन अरावली पहाड़ियों में होने की वजह से वन विभाग की क्लीयरेंस नहीं मिली। इसके बाद सरकार ने ई-भूमि पोर्टल पर जमीन की डिमांड की। माजरा गांव के किसानों ने जमीन देने की पेशकश की।
इसके बाद सरकार ने 210 एकड़ जमीन खरीदी है। यह जमीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को एक रुपया प्रति एकड़ के हिसाब से 99 वर्षों के पट्टे पर दी गई है।
चंडीगढ़, 22 फरवरी (ट्रिन्यू)
रेवाड़ी के माजरा गांव में बन रहे देश के 22वें एम्स में नवंबर-2025 तक ओपीडी शुरू हो जाएगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इसका निर्माण किया जा रहा है। एल एंड टी कंपनी को इसके निर्माण का वर्क आर्डर जारी किया जा चुका है। एम्स निर्माण पर 1650 करोड़ रुपये के लगभग की लागत आएगी।
16 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका शिलान्यास कर चुके हैं। रेवाड़ी से कांग्रेस विधायक चिरंजीव राव के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं गृह मंत्री अनिल विज ने यह खुलासा किया। डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने भी इस चर्चा में भाग लिया। दुष्यंत ने ही बताया कि एम्स का पहला ब्लाॅक तैयार होते ही ओपीडी शुरू कर दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट में देशभर में बन रहे एम्स के लिए 6000 हजार करोड़ रुपये का बजट तय किया है। इस हिसाब से हरियाणा एम्स के लिए 300 करोड़ के लगभग ही मिल पाएंगे। इस पैसे से कैसे एम्स बन पाएगा। विज ने कहा, यह मोदी की गारंटी है। बजट की कोई कमी नहीं है।
विज ने कहा कि पहले मनेठी में एम्स स्थापित होना था। मनेठी की जमीन अरावली पहाड़ियों में होने की वजह से वन विभाग की क्लीयरेंस नहीं मिली। इसके बाद सरकार ने ई-भूमि पोर्टल पर जमीन की डिमांड की। माजरा गांव के किसानों ने जमीन देने की पेशकश की।
इसके बाद सरकार ने 210 एकड़ जमीन खरीदी है। यह जमीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को एक रुपया प्रति एकड़ के हिसाब से 99 वर्षों के पट्टे पर दी गई है।
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