OP Choutala--जींद में खट्टे और मीठे रहे ओमप्रकाश चौटाला के राजनीतिक अनुभव
1999 में तत्कालीन बंसीलाल सरकार को गिराकर ओमप्रकाश चौटाला प्रदेश के सीएम बने थे, तो उसमें भी जींद जिले की अहम भूमिका रही थी। बंसीलाल की जगह ओमप्रकाश चौटाला को सीएम बनवाने में जींद के तत्कालीन हविपा विधायक और बंसीलाल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे बृजमोहन सिंगला ने अहम भूमिका निभाई थी। ओमप्रकाश चौटाला जब फरवरी 2000 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश के सीएम बने, तो जींद जिले की धरती पर अब तक का सबसे बड़ा किसान आंदोलन हुआ। किसान आंदोलन का गढ़ जींद का कंडेला गांव बना था। कंडेला गांव में चौटाला के मुख्यमंत्री काल में दो बार किसान आंदोलन हुआ। पहले किसान आंदोलन में किसी किसान की जान नहीं गई थी। यह अलग बात है कि किसानों पर पुलिस फायरिंग में 80 से ज्यादा किसान घायल हुए थे। उनके मुख्यमंत्री काल में हुए दूसरे किसान आंदोलन में जींद के गुलकनी गांव के पास पुलिस फायरिंग में 8 किसानों की मौत हुई थी। उसके बाद जींद जिले में हालात इनेलो के बहुत विपरीत हो गए। जींद जिले के कंडेला गांव में हुआ किसान आंदोलन पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के लिए जींद जिले में सबसे खट्टा राजनीतिक अनुभव रहा। इसके बाद ओमप्रकाश चौटाला कभी प्रदेश के सीएम नहीं बन पाए। 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में जींद जिले में इनेलो का सूपड़ा पूरी तरह साफ हो गया था, और जींद जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। कंडेला गांव में तो हालत यह हो गई थी कि एक दौर में चौटाला परिवार की एंट्री तक मुश्किल हो गई थी। उनके मुख्यमंत्री काल में जींद में हुआ किसान आंदोलन इनेलो और खुद ओमप्रकाश चौटाला को सत्ता से ऐसा बाहर कर गया कि दोबारा सत्ता में नहीं आए।
पूर्व विधायक प्रमेंद्र ढुल रहे संघर्ष के दौर के गवाह
जुलाना के पूर्व विधायक प्रमेंद्र ढुल पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के जींद जिले में राजनीतिक संघर्ष के गवाह रहे हैं। प्रमेंद्र ढुल बताते हैं कि ओमप्रकाश चौटाला जब रिक्शा से उनके पिता पूर्व मंत्री चौधरी दल सिंह के पास उनकी कोठी पर आते थे, तब वह स्कूल में पढ़ते थे। चौटाला के रिक्शा में आने से लेकर नेता प्रतिपक्ष और सीएम तथा फिर पूर्व सीएम के रूप में लक्जरी सरकारी गाड़ी में आने तक को उन्होंने खुद देखा है। चौटाला जैसी संघर्ष क्षमता विरले नेताओं में ही होती है।