OP Chautala: जनता के दर्शनार्थ कल रखा जाएगा ओपी चौटाला का पार्थिव शरीर, 3 बजे होगा अंतिम संस्कार
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 20 दिसंबर
OP Chautala: हरियाणा के दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का पार्थिव शरीर शनिवार को उनके पैतृक गांव चौटाला के निकट स्थित तेजा खेड़ा फार्म हाउस में जनता के दर्शनों के लिए रखा जाएगा। यहां उनके चाहने वाले उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे।
दैनिक ट्रिब्यून के संपादक नरेश कौशल से फोन पर बातचीत में चौटाला के पुत्र अभय चौटाला ने कहा कि दिवंगत नेता का पार्थिव शरीर शनिवार सुबह नौ से अपराह्न दो बजे तक जनता के दर्शनों के लिए रखने के बाद अपराह्रन तीन बजे तेजा खेड़ा फार्म हाउस में अंतिम संस्कार किया जाएगा। बता दें, हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री और सात बार विधायक रहे इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला का 89 साल की उम्र में निधन हो गया।
राजनीतिक रूप से थे पूरी तरह सक्रिय
चौटाला पिछले कई सालों से स्वास्थ्य लाभ हासिल कर रहे थे। इसके बावजूद राजनीतिक रूप से पूरी तरह सक्रिय थे। हाल ही में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान चौटाला ने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया था। चौटाला का निधन गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में हुआ। उन्हें आज सुबह ही सांस में तकलीफ होने की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने चौटाला के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश की राजनीति में उनका योगदान हमेशा याद रहेगा।
बादल से थी गहरी दोस्ती
ओमप्रकाश चौटाला का जन्म एक जनवरी 1935 को सिरसा जिले के डबवाली स्थित चौटाला गांव में हुआ था, जो कि पहले पंजाब का हिस्सा होता था। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल से उनकी प्रगाढ़ मित्रता थी।
जेबीटी घोटाले में 10 साल जेल काटी
जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में चौटाला करीब 10 साल की सजा काट चुके चौटाला भारत के छठे उप प्रधानमंत्री स्व. देवीलाल के सबसे बड़े पुत्र थे। उम्र के आखिरी दौर में वे अपने बेटों अजय सिंह चौटाला और अभय सिंह चौटाला के परिवार को एक नहीं कर सके। अपने छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला को वे अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी पहले ही घोषित कर चुके हैं।
राजनीति में सक्रिय चौटाला परिवार
प्रदेश में इस समय इनेलो के दो विधायक अर्जुन सिंह चौटाला और आदित्य देवीलाल चौटाला विधानसभा में मौजूद हैं। अर्जुन चौटाला उनके पोते हैं, जबकि आदित्य देवीलाल भतीजे हैं। उनके बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला हरियाणा के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जो जननायक जनता पार्टी के नाम से अलग राजनीतिक दल का संचालन कर रहे हैं। साल 2019 के चुनाव में 10 विधायकों के साथ जजपा ने सत्तारूढ़ भाजपा को अपना समर्थन दे रखा था। इस अवधि में अभय सिंह चौटाला और दुष्यंत चौटाला की कभी नहीं बनी। बादल परिवार ने चौटाला परिवार को एकजुट करने की बहुत कोशिश की, लेकिन बात नहीं बन पाई।
ओपी चौटाला के नेतृत्व में राजग का हिस्सा भी रह चुकी इनेलो
ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाला इनेलो केंद्र में राजग सरकार का हिस्सा भी रह चुका है। चौटाला के पांच बार मुख्यमंत्री बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। इसमें से दो बार यानी दूसरी और चौथी बार जुलाई माह में ही उन्होंने सत्ता संभाली। चौटाला पहली बार 1989 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। 12 जुलाई 1990 को चौटाला ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता को दो माह में ही इस पद से हटा दिया गया था। हालांकि चौटाला के मुख्यमंत्री बनने के पांच दिनों बाद ही 17 जुलाई 1990 को राजनीतिक विवशता के कारण इस पद से त्यागपत्र देना पड़ा था और हुकम सिंह अगले मुख्यमंत्री बन गए थे। उस समय उनके पिता चौधरी देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री थे।
इससे पूर्व, दो दिसंबर 1989 को चौटाला पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे एवं 22 मई 1990 तक इस पद पर रहे। पद से हटने के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने सिरसा की तत्कालीन दरबाकलां विधानसभा सीट से उपचुनाव जीता। इसके बाद उसी छठी विधानसभा के दौरान चौटाला 22 अप्रैल 1991 को तीसरी बार मुख्यमंत्री बने, परंतु केवल दो सप्ताह अर्थात पांच अप्रैल तक ही इस पद पर रह सके, क्योंकि तत्कालीन राज्यपाल की सिफारिश पर केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।
नरवाना उपचुनाव जीतकर चौटाला ने सबको हैरान किया था
वर्ष 1993 में भजनलाल सरकार के कार्यकाल के दौरान नरवाना उपचुनाव जीतकर चौटाला ने सबको हैरान कर दिया था। इसी दौरान चौटाला पहले जनता दल, फिर समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) और फिर समता पार्टी में रहे। हालांकि 1996 के लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने हरियाणा लोक दल (राष्ट्रीय)-हलोदरा के नाम से नई पार्टी बना ली और 1998 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव में बसपा से गठबंधन कर प्रदेश की 10 में से पांच लोकसभा सीटें जीती। इसके बाद उन्हें मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल का दर्जा हासिल हो गया था। तब चौटाला ने अपनी पार्टी का नाम बदलकर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) कर लिया था।
24 जुलाई 1999 में चौटाला चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल की हविपा-भाजपा गठबंधन की सरकार से पहले भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद हविपा में फूट पड़ गई थी। हविपा के बागी विधायकों के समर्थन और भाजपा के सहयोग से चौटाला उस समय राज्य के मुख्यमंत्री बने, हालांकि इसके दिसंबर 1999 में उन्होंने विधानसभा भंग करवा दी और ताज़ा विधानसभा चुनाव में दो मार्च 2000 को चौटाला पांचवीं बार मुख्यमंत्री बने। उस समय चौटाला पूरे पांच साल यानी मार्च 2005 तक मुख्यमंत्री रहे थे। इसी कार्यकाल के दौरान 2004 के लोकसभा चुनाव भी आए, जिससे पहले इनेलो व भाजपा का गठबंधन टूट गया था।