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‘निर्वाचित मुख्यमंत्री’ ही होना चाहिये राज्य संचालित विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति : भगवंत मान

07:21 AM Jul 19, 2024 IST
‘निर्वाचित मुख्यमंत्री’ ही होना चाहिये राज्य संचालित विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति   भगवंत मान
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चंडीगढ़, 18 जुलाई (भाषा)
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बृहस्पतिवार को राज्यपाल के परोक्ष संदर्भ में कहा कि राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति प्रदेश के ‘निर्वाचित मुख्यमंत्री’ को होना चाहिये न कि किसी ‘चयनित’ व्यक्ति को। प्रदेश के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित पर कटाक्ष करते हुए मान ने कहा कि अगर राज्यपाल किसी विधेयक को मंजूरी नहीं देना चाहते हैं, तो वह उसे राष्ट्रपति के पास भेज देते हैं, जो कुछ महीनों के बाद विधेयक को वापस कर देते हैं। मुख्यमंत्री का यह बयान राष्ट्रपति द्वारा पंजाब के एक विधेयक को लौटाए जाने के बाद आया है, जिसमें राज्य के राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री को राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने की बात कही गई है। भगवंत मान ने कहा कि वह पंजाब विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2023 के मुद्दे पर एक बैठक करेंगे, जिसे राष्ट्रपति ने मंजूरी के बिना वापस कर दिया है। पंजाब विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2023 में राज्यपाल के स्थान पर मुख्यमंत्री को राज्य संचालित विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने का प्रावधान करता है। राष्ट्रपति द्वारा विधेयक को वापस भेजे जाने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि ऐसे विधेयक पश्चिम बंगाल और केरल की सरकारों द्वारा भी लाए गए थे, जिनमें कहा गया है कि निर्वाचित मुख्यमंत्री को कुलाधिपति होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘हम चाहते हैं कि लोकतंत्र ‘चयनित’ नहीं, बल्कि ‘निर्वाचित’ होना चाहिए।’
राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपति की नियुक्ति की मौजूदा प्रक्रिया के बारे में मान ने कहा, ‘अगर हमें पंजाबी विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति करनी है, तो हमें राज्यपाल को तीन नाम देने होंगे। वह अपनी पसंद से उनमें से एक का चयन करेंगे। फिर कौन चुन रहा है, निर्वाचित या चयनित।’ उन्होंने कहा, ‘संस्कृति को जानना चाहिए। पंजाबी विश्वविद्यालय की संस्कृति क्या है, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय और अन्य विश्वविद्यालयों की संस्कृति क्या है?’
पंजाब विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2023 और तीन अन्य विधेयक पिछले साल जून में दो दिवसीय सत्र में पंजाब विधानसभा द्वारा पारित किए गए थे, लेकिन राज्यपाल ने सत्र को ‘स्पष्ट रूप से अवैध’ कहा था।

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